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हिंदुओं के लिए भगवा रंग का क्या है महत्व, जानें इसके पीछे का रहस्य

भगवा रंग में भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म और जीवन पद्धति का संदेश छिपा हुआ है, जिसे प्राचीन काल में मनीषियों ने अर्जित ज्ञान के बल पर अपनाया था। इस रंग और भगवा रंग के ध्वज में संदेश को जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट।

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Shailendra Tiwari

Dec 17, 2022

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भोपाल. हिंदू धर्म के मनीषियों का मानना है कि रंगों का मानव जीवन पर असर पड़ता है। इसे जानकर ही कुछ विशेष रंगों को विशेष कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। हिंदू धर्म के मानने वाले भगवा, केसरिया और नारंगी तीनों रंगों के ध्वज का इस्तेमाल करते हैं।

जानकारों का कहना है कि गेरू और भगवा रंग एक ही है, हालांकि केसरिया रंग में थोड़ा अंतर है। केसरिया में थोड़ा लालपन का प्रभाव होता है और भगवा में पीलापन। आइये जानते हैं कि इसका क्या महत्व है।


रंगों के जानकारों का कहना है कि लाल, पीला और नीला ही प्रमुख रंग होते हैं, कोई रंग मद्धम पड़ता जाए तो सफेद हो जाएगा और गहरा होता जाए तो काला होता जाएगा, बाकी तीन प्रमुख रंगों के मिश्रण से हजारों रंगों का निर्माण होता है। ये जन्म, जीवन और मृत्यु की तरह हैं, जिसका हमारे दर्शन में बार-बार व्याख्या की गई है।

इसके अलावा शास्त्रों में शरीर में सात चक्र की कल्पना की गई है, जो सात शरीर से जुड़े होते हैं, इनमें से तीन प्रमुख भौतिक, सूक्ष्म और कारण हैं। भौतिक में लाल रंग की अधिकता, सूक्ष्म सूर्य के पीले प्रकाश जैसा और कारण नीला रंग लिए हुए है। इसलिए इनके प्रतीक के रूप में ये हमारी ज्ञान पद्धति में आए हैं।

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केसरिया या भगवा का महत्वः मान्यता है कि भगवा और केसरिया रंग ज्ञान, त्याग, बलिदान, शौर्य, वीरता, शुद्धता और सेवा का प्रतीक है, जो हिंदू धर्म के आधारभूत तत्वों में से एक हैं। इसीलिए शिवाजी की सेना, राम-कृष्ण, अर्जुन के रथों पर लगे ध्वज इसी रंग के हैं। यह सूर्योदय और सूर्यास्त का भी रंग है, जो अधर्म के अंधकार को दूर कर धर्म का प्रकाश फैलाने का संदेश देता है।

यानी यह भारत की चिरंतन, सनातनी और पूर्वजन्म की अवधारणाओं को बताने वाला रंग है। इसलिए इसे हमारी संस्कृति के प्रतीक के रूप में हमारे मनीषियों ने अपना लिया। यह रंग हमारी संस्कृति और धर्म के शाश्वत होने का प्रतीक माना गया है।

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इसके अलावा हमारी ज्ञान परंपरा में अग्नि का भी बहुत महत्व है, जो अंधकार और बुराई को नष्ट करती है। इसमें लाल, पीला, केसरिया रंग नजर आते हैं. इसका संबंध यज्ञों से भी है. हमारे यहां यज्ञ को सर्वश्रेष्ठ कार्य माना गया है, जो संदेश देता है कि हम संसार को खूबसूरत बनाएं।

इसलिए हर धार्मिक कार्य में भगवा या केसरिया रंग का ध्वज लगाया जाता है, जिसमें यज्ञों की ज्वालाओं जैसे दो त्रिभुज जैसी आकृति दिखाई देती है। ये हमें सिखाते हैं कि संसार में शान्ति के लिए सांमजस्य, सहअस्तित्व, सद्भाव आवश्यक है। इसीलिए ध्वज हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है।