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कब है संकष्टी चतुर्थी, जानिए डेट और पूजा विधि

नए साल की पहली संकष्टी चतुर्थी इस दिन लोग दो दिन मनाते नजर आएंगे, संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि डेट और महत्व जानने के लिए पढ़ें खबर।

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Shailendra Tiwari

Dec 30, 2022

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संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

Sankashti Chaturthi 2023 date: हर हिंदी महीने में दो चतुर्थी पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष में, दूसरा शुक्ल पक्ष में, दोनों चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। नए साल 2023 की पहली चतुर्थी यानी माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी संकष्टी चतुर्थी मंगलवार दोपहर 10 जनवरी से शुरू होकर बुधवार 11 जनवरी दोपहर को संपन्न हो रही है। कुछ लोग उदयातिथि में व्रत और बुधवार को गणेश पूजा के दिन के मद्देनजर 11 जनवरी को व्रत करेंगे, जबकि कई लोग तिथि के हिसाब से दस जनवरी को और चतुर्थी तिथि को चंद्रदर्शन के मद्देनजर इसी दिन व्रत करेंगे। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होकर भक्त को हर संकट से बचाते हैं।

संकष्टी चतुर्थी की तिथिः संकष्टी चतुर्थी तिथि दस जनवरी मंगलवार दोपहर 12.09 बजे से शुरू हो रही है और 11 जनवरी को दोपहर 2.31 बजे संपन्न होगी। उदया तिथि में यह व्रत बुधवार 11 जनवरी को रखा जाएगा।

संकष्टी चतुर्थी का महत्वः संकष्टी चतुर्थी का अर्थ संकट को हरने वाली चतुर्थी है, जिस व्यक्ति को किसी भी प्रकार की तकलीफ है, वह इंसान यह व्रत रखता है और गौरी पुत्र गणेश की पूजा करता है तो गणेश उसे दुखों से छुटकारा दिलाते हैं। इस दिन लोग सूर्योदय के समय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं।

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संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि


1. गणेश चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
2. इसके बाद मंदिर में गणेश प्रतिमा को गंगाजल और शहद से स्वच्छ करें।
3. सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद अर्पित करें।
4. धूप, दीप जलाएं और ऊं गं गणपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।

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5. गणेश जी के सामने व्रत का संकल्प लें, और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें।
6. व्रत में फलाहार, दूध, पानी, फलों का रस ग्रहण कर सकते हैं।


गणपति की स्थापना के बाद ऐसे पूजा करें


1. घी का दीया जलाएं और पूजा का संकल्प लें
2. गणेशजी का ध्यान कर उनका आह्वान करें
3. गणेशजी को पहले जल, फिर पंचामृत और उसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं
4. गणेश मंत्र, गणेश चालीसा आदि का पाठ करें
5. गणेशजी को वस्त्र या कोई धागा अर्पित करें


6. सिंदूर, चंदन, फल और फूल अर्पित करें, सुगंध वाली धूप दिखाएं
7. दूसरा दीपक गणपति प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें, नए कपड़े से हाथ पोछ लें
8. मोदक, मिठाई, गुड़, फल आदि नैवेद्य चढ़ाएं
9. नारियल और दक्षिणा अर्पित करें, संकष्टी चतुर्थी कथा पढ़ें
10. परिवार समेत गणपति की आरती करें, आरती में कपूर के साथ घी में डूबी तीन से अधिक बत्तियां रहें
11. गणपति की एक बार परिक्रमा करें और भूलचूक के लिए माफी मांगें
12. षाष्टांग प्रणाम करें और भूल चूक के लिए माफी मांगें
13. गाय को हरी घास या रोटी खिलाएं, गौशाला में दान भी कर सकते हैं
14. रात में चंद्रमा निकलने से पहले गणपति की पूजा करें, व्रत कथा पढ़ें और चंद्र दर्शन के बाद पूजा कर व्रत खोलें।
15. अब पारण करें