
मां शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन
कलश स्थापना और नवरात्रि पूजन मुहूर्त
लाभामृत कालः प्रातः 9:14 से 12:06 तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:43 से 12:29 तक
शुभ समय: अपराह्न1:33से 2:59 तक
ऐसे करें कलश स्थापना: इस दिन इसका ध्यान रखना चाहिए शुभ मुहूर्त में ही कलश स्थापना कर लें, सूर्यास्त के बाद कलश स्थापना न करें, यह अशुभफलदायक होता है।
1. घर के ईशान कोण या पूर्व दिशा में स्थित कमरे में पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें।
2. माता दुर्गा की स्थापना कर उसके ठीक आगे एक स्थान पर शुद्ध मिट्टी रखें और उसमें जौ बो दें।
3. शुभ मुहूर्त में कलश में जल भर कर मिट्टी पर स्थापित करें और कलश के मुंह पर कलावा बांधें।
4. कलश के ऊपर रोली से ”ऊँ“ और ”स्वास्तिक" का शुभ चिन्ह बनाएं।
5. जल में सतोगुणी तीन हल्दी की गांठें, 12 रेशे केसर के साथ अन्य जड़ी, बूटियां और पंच रत्न चांदी या तांबे इत्यादि के सिक्के के साथ गंगा जल, लौंग, इलायची, पान, सुपाड़ी, रोली, चन्दन, अक्षत, पुष्प आदि डालें और कलश को पूर्ण रूप से भर दें।
6. कलश के मुख पर पंच पल्लव यानी आम, पीपल, बरगद, गुलर और पाकर के पत्ते जो पंच तत्वों का प्रतीक हैं, इस प्रकार रखें कि डंडी पानी में भीगी रहे और पत्ते बाहर रहें अन्यथा पांच पत्तों युक्त आम की टहनी ही कलश के ऊपर लगायें।
7. फिर कलश के मुख पर चावल भरा कटोरा रख कर उसके ऊपर लाल कपड़े में लिपटा कच्चा नारियल, इस प्रकार रखें कि नारियल का मुख आपकी ओर हो।
8. पूर्व-दक्षिण दिशा के मध्य आग्नेय कोण में चावलों की ढेरी के ऊपर दीप स्थापित करें
इस दिशा में स्थापित करें धूप बत्ती
पुरोहितों के अनुसार कलश और दीप स्थापना के बाद ध्यान रखें कि नौ दिन तक अखंड दीप, अखण्ड ज्योति जलता रहे, यह सभी प्रकार की अमंगलकारी ऊर्जाओं को नष्ट करने की क्षमता रखता है। साथ ही धूप, बत्ती पश्चिम उत्तर दिशा के मध्य वायव्य दिशा में स्थापित करें।
यहां स्थापित करें गणेश और ऐसे करें पूजा
पुरोहितों के अनुसार जहां पर दुर्गा देवी की स्थापना हुई है उसके ठीक आगे कलश स्थापित होना चाहिए। इसके साथ ही मां दुर्गा के बांयी तरफ श्री गणेश की मूर्ति भी स्थापित करनी चाहिए और प्रथम गणेश की पूजा के बाद वरूण देव, विष्णुजी, शिव, सूर्य और अन्य नव ग्रहों की भी पूजा करें। शिक्षा, वैदिक विद्याओं और कला जगत से जुड़े लोगों की प्रमुख आराध्य मां सरस्वती होती हैं, इसलिए विद्यार्थियों और इन लोगों को भी इस दिन मां सरस्वती का पूजा अवश्य करनी चाहिए। साथ ही अपनी पाठ्य सामग्री की भी पूजा करनी चाहिए।
ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा
पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इनकी आराधना से हम सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन मां शैलपुत्री का प्रसन्न करने के लिए ध्यान मंत्र भी जपना चाहिए। आइये जानते हैं कैसे मां शैलपुत्री की पूजा करें..
मां शैलपुत्री पूजा विधि
1. सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर केसर से 'शं' लिखें और माता शैलपुत्री की तस्वीर रखें। इसके बाद कपड़े पर मनोकामना पूर्ति गुटका रखें। बाद में हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें।
2. इसके लिए यह मंत्र पढ़ें-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
मंत्र के साथ ही हाथ में लिए फूल को मनोकामना गुटका और मां की तस्वीर पर अर्पित कर दें। इसके बाद प्रसाद अर्पित करें और मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें।
मंत्र - ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
3. इसके बाद हाथ में फूल लेकर मां दुर्गा के चरणों में अपनी मनोकामना व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें और आरती-कीर्तन करें। मंत्र के साथ ही हाथ में लिया फूल मनोकामना गुटका और मां की तस्वीर पर छोड़ दें। इसके बाद भोग अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें। यह जप कम से कम 108 बार होना चाहिए।
ध्यान मंत्र
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
4. इसके बाद माता के स्त्रोत का पाठ करें
माता शैलपुत्री का स्त्रोत
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
नवरात्र में यह जरूर करें
1. नवरात्र में लाल रंग का प्रयोग अधिक से अधिक करें क्योंकि लाल रंग में अधिक से अधिक ऊर्जा होती है और यह रंग शक्ति का प्रतीक है। इसलिए लाल सुगंधित फूल विशेष तौर पर लाल गुड़हल और लाल कनेर, लाल वस्त्र, लाल रंग का आसन मां भगवती से निकटता प्रदान करते हैं।
2. नवरात्र में मां दुर्गा के नाम ज्योति अवश्य अर्पित करें। इस समय अखण्ड दीपक का फल भी अखण्ड ही होता है। यदि दुर्गा सप्तशती इत्यादि के पाठ का समय नहीं है तो कुंजिका स्त्रोत अवश्य पढ़ें।
3. नवरात्रि में अधिक से अधिक "ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै" मंत्र का जाप करना चाहिए।
4. प्रातः काल प्रसाद के लिए शहद मिले दूध का भोग लगा कर ग्रहण करना शरीर और आत्मा दोनों को बल प्रदान करता है।
Updated on:
14 Oct 2023 10:19 pm
Published on:
14 Oct 2023 10:18 pm
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