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6 पुत्रों के पिता थे शिव शंकर, सबके हैं अपने-अपने महत्व

पुराणों के अनुसार सती के आत्मदाह करने के बाद उन्होंने अपने दूसरे जन्म में

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नई दिल्ली। अब तक आपने भगवान शिव के सिर्फ दो पुत्रों के बारे में सुना और जाना होगा, कार्तिकेय और गणेश आपने इनका पुराणों में वर्णन भी सुना होगा लेकिन क्या आपको पाता है भगवान शिव के चार पुत्र और थे? आज हम आपको उनके बाकी पुत्रों के नाम बताने जा रहे हैं। आनंद, कर्दम, श्रीद और चिक्लीत। जैसा की आप जानते ही होंगे भगवान विष्णु ने ब्रह्मा के पुत्र भृगु की पुत्री लक्ष्मी से विवाह किया था। शिव ने ब्रह्मा के पुत्र दक्ष की कन्या सती से विवाह किया था, लेकिन सती तो दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर भस्म हो गईं थी। तब तक शिव जी और सती की कोई संतान नहीं थी। तब कैसे और कहां जन्में शिव के पुत्र?

पुराणों के अनुसार सती के आत्मदाह करने के बाद उन्होंने ने अपने दूसरे जन्म में पर्वतराज हिमालय के यहां उमा के रूप में जन्म लिया यह उमा ही बाद में देवी पार्वती के नाम से विख्‍यात हुईं। सती या उमा ही मां दुर्गा के रूप हैं। शिव और पार्वती के विवाह के बाद शिवजी का गृहस्थ जीवन शुरू हुआ और उनके जीवन में अनेक प्रकार के घटनाओं की शुरुआत हुई। पार्वती के साथ रहते हुए शिवजी के कई पुत्र हुए। उनमें ही प्रमुख 6 पुत्रों की जानकारी हम आपसे साझा कर रहे हैं।

1 गणेश- पुराणों में गणेशजी की उत्पत्ति की विरोधाभासी कथाएं मिलती हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेशजी का जन्म हुआ था।

2- कार्तिकेय- शिव के दूसरे पुत्र कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, मुरुगन और स्कंद भी कहा जाता है। उनके जन्म की कथा भी विचित्र है। कार्तिकेय की पूजा मुख्यत: दक्षिण भारत में होती है। अरब में यजीदी जाति के लोग भी इन्हें पूजते हैं, ये उनके प्रमुख देवता हैं। उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती प्रदेश उत्तर कुरु के क्षे‍त्र विशेष में ही इन्होंने स्कंद नाम से शासन किया था। इनके नाम पर ही स्कंद पुराण है।

3- सुकेश- शिव के तीसरे पुत्र थे जिसका नाम था सुकेश। राक्षसों का प्रतिनिधित्व दो लोगों को सौंपा गया- 'हेति' और 'प्रहेति'। ये दोनों भाई थे। ये दोनों भी दैत्यों के प्रतिनिधि मधु और कैटभ के समान ही बलशाली और पराक्रमी थे। प्रहेति धर्मात्मा था तो हेति को राजपाट और राजनीति में ज्यादा रुचि थी। राक्षसराज हेति ने अपने साम्राज्य विस्तार हेतु 'काल' की पुत्री 'भया' से विवाह किया। भया से उसके विद्युत्केश नामक एक पुत्र का जन्म हुआ।

4- जलंधर- शिवजी के चौथे पुत्र का नाम जलंधर था। जलंधर शिव का सबसे बड़ा दुश्मन बना। श्रीमद्मदेवी भागवत पुराण के अनुसार जलंधर असुर शिव का अंश था, लेकिन उसे इसका पता नहीं था। जलंधर बहुत ही शक्तिशाली असुर था। इंद्र को पराजित कर जलंधर तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा था। यमराज भी उससे डरते थे।

5- अयप्पा- भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी हैं। विष्णु का मोहिनी रूप देखकर भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था। उनके वीर्य को पारद कहा गया और उनके वीर्य से ही बाद में सस्तव नामक पुत्र का जन्म का हुआ जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया। शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण उनको 'हरिहरपुत्र' कहा जाता है। भारतीय राज्य केरल में शबरीमलई में अयप्पा स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां विश्‍वभर से लोग शिव के इस पुत्र के मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रहकर यहां एक ज्योति दिखती है। इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं।

6- भूमा- आपको बता दें एक समय जब कैलाश पर्वत पर भगवान शिव समाधि में ध्यान मग्न बैठे थे, उस समय उनके ललाट से तीन पसीने की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं। इन बूंदों से पृथ्वी ने एक सुंदर और प्यारे बालक को जन्म दिया, जिसके चार भुजाएं थीं और वय रक्त वर्ण का था। इस पुत्र को पृथ्वी ने पालन पोषण करना शुरु किया। तभी भूमि का पुत्र होने के कारण यह भौम कहलाया। कुछ बड़ा होने पर मंगल काशी पहुंचा और भगवान शिव की कड़ी तपस्या की। तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसे मंगल लोक प्रदान किया। इन 6 पुत्रों के अलावा भगवान शिव कई पुत्र थे, लेकिन प्रमुख रूप से इन 6 पुत्रों को ही प्रसिद्धि प्राप्त हुई।