
श्राद्ध पक्ष में भूलकर भी न करें ये काम
कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष
ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन मास की अमावस्या तक की अवधि को पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। यह पखवाड़ा इस साल 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान सभी लोग अपने पितृ के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान तर्पण आदि करते हैं। यह पितरों को याद करने और उनका आदर करने का पखवाड़ा है। मान्यता है कि इस पखवाड़े में नियमों का पालन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
क्या होता है श्राद्ध
पं. तिवारी के अनुसार श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म, इसमें तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज, गाय, कुत्ता कौआ, चींटी आदि जीवों को श्रद्धा पूर्वक भोजन कराना शामिल है। इसीलिए इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हमारे पूर्वज यानी की पितृ, मृत्यु के बाद पितृ लोक में निवास करते हैं (ऐसे लोग जिनका पुनर्जन्म नहीं हुआ है), वे पितृ पक्ष में धरती पर हमसे मिलने आते हैं। वे चाहते हैं कि उनके निमित्त पूजा किया जाए। इसी के तहत श्राद्ध किया जाता है।
पितृ पक्ष में क्या न करें
1.क्षौर कर्म नहीं कराना चाहिए यानी नाखून नहीं काटना चाहिए, बाल नहीं कटवाना है, शेव नहीं कराना चाहिए।
2. पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को दान देने वाले वस्त्र के अलावा अपने लिए कोई नई चीज नहीं खरीदना चाहिए। भले ही वह वस्त्र ही क्यों न हो, स्वर्ण, भवन आदि भी खरीदने से बचें।
3. इस पखवाड़े में गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, मुंडन, विवाह जैसे कार्यों पर रोक है।
4. नया वाहन, सोने-चांदी के सिक्के, बर्तन आदि न खरीदें।
5.प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार श्राद्ध पक्ष में दूसरे के घर का अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
6 श्राद्ध कर्म वाले दिन यात्रा भी वर्जित है।
7. श्राद्ध पक्ष में मांस भक्षण, धूम्रपान और लोहे और मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
Updated on:
28 Sept 2023 10:14 pm
Published on:
27 Sept 2023 10:58 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म और अध्यात्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
