
krishna karn sanvad mahabharat
कहानी महाभारत की: महाभारत के दौरान श्रीकृष्ण और कर्ण का एक संवाद गहरे निहितार्थ उजागर करता है। इसके अनुसार कर्ण श्रीकृष्ण से पूछता है कि मेरा जन्म होते ही मेरी मां ने मुझे त्याग दिया, क्या अवैध संतान होना मेरा दोष था? द्रोणाचार्य ने मुझे सिखाया नहीं, क्योंकि मैं क्षत्रिय नहीं था। परशुरामजी ने सिखाया लेकिन अभिशाप दे दिया कि जिस वक्त मुझे विद्या की सर्वाधिक जरूरत होगी, उसी वक्त विद्या भूल जाएगी। क्योंकि उनके अनुसार मैं क्षत्रिय नहीं था।
कर्ण ने कहा- संयोगवश गाय को बाण लगा और उसके मालिक ने मुझे शाप दे दिया। द्रौपदी स्वयंवर में मेरा अपमान किया गया, माता कुंती ने आखिर में मेरे जन्म का रहस्य बताया और वो भी दूसरे बेटों को बचाने के लिए, जो भी दिया दुर्योधन ने दिया तो मैं उसकी तरफ से न लड़ूं तो किसकी तरफ से लड़ूं। इसमें मेरी गलती कहां है।
कर्ण के सवाल पर भगवान कृष्ण के जवाबः अन्याय के पक्ष से लड़ रहे कर्ण के खुद को पीड़ित दिखाने और जस्टीफाई (न्यायोचित ठहराने) करने की कोशिश पर भगवान कृष्ण ने जो जवाब दिया उससे कर्ण निरुत्तर हो गया।
भगवान कृष्ण ने कहा- कृष्ण मेरा जन्म कारागार में हुआ, जन्म से पहले ही मेरी हत्या की योजना बनाई जाने लगी थी। मृत्यु मेरा इंतजार कर रही थी, जन्म के साथ ही माता-पिता से दूर कर दिया गया। तुम्हारा बचपन खड्ग, घोड़ा, धनुष और बाण के बीच उनकी ध्वनि सुनते बीता और मुझे ग्वाले की गौशाला मिली, गोबर मिला, खड़ा होकर चलना भी सीख नहीं पाया था तभी से जानलेवा हमले होने लगे। कोई सेना नहीं, कोई शिक्षा नहीं, लोग ताने देते थे कि उनकी समस्याओं का कारण मैं ही हूं।
तुम्हारे गुरु जब तुम्हारे शौर्य की तारीफ कर रहे थे, मुझे उस उम्र में शिक्षा तक नहीं मिली थी। मैं जब सोलह साल का हुआ तब ऋषि सांदीपनि के आश्रम पहुंच सका। तुम अपनी पसंद की कन्या से विवाह कर सके, मैंने जिससे प्रेम किया उससे विवाह नहीं हुआ, उनसे विवाह करने पड़े जिसे मैंने बचाया था, या जिन्हें मेरी चाहत थी। जरासंध से बचाने के लिए पूरे समाज को समुद्र किनारे बसाना पड़ा। युद्ध से पलायन के कारण मुझे भीरू कहा गया।
अगर दुर्योधन युद्ध जीतता है तो तुम्हें श्रेय मिलेगा।
धर्मराज युद्ध जीतता है तो मुझे क्या मिलेगा।।
एक बात याद रहे कर्ण, जिंदगी हर व्यक्ति के सामने चुनौतियां पेश करती है, वह किसी के साथ न्याय नहीं करती। दुर्योधन ने अन्याय का सामना किया है तो धर्मराज ने भी कम अन्याय नहीं भुगता। लेकिन सत्य धर्म क्या है तुम जानते हो। कोई बात नहीं कितना भी अपमान हो, जिस पर हमारा हक हो वह हमें न मिल पाए, महत्व इसका है इस समय तुम संकट का सामना कैसे करते हो, रोना धोना बंद करो कर्ण, जिंदगी ने न्याय नहीं किया, इसका मतलब यह नहीं तुम्हें अधर्म के पथ पर चलने की अनुमति मिल गई।
Updated on:
06 Feb 2023 02:31 pm
Published on:
06 Feb 2023 02:30 pm
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