
राहु-केतु की शत्रुता का परिणाम है हर साल लगने वाला सूर्य और चन्द्र ग्रहण, जानिए क्या है इसके पीछे की कहानी
Surya Grahan Religious Story: इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल, शनिवार को लगेगा। दुनिया की ऊर्जा का कारक माने जाने वाले सूर्य पर हर साल लगने वाले ग्रहण को वैज्ञानिक दृष्टि से एक खगोलीय घटना माना जाता है, लेकिन वैदिक ज्योतिष शास्त्र में इससे जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं एवं मान्यताएं हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य पर ग्रहण लगने का प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ता है। माना जाता है कि हर साल सूर्य पर जब ग्रहण का संकट आता है तो इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। वहीं ग्रहण के दौरान बहुत सी सावधानियां बरतने की भी सलाह दी जाती है। तो आइए जानते हैं हर साल लगने वाले सूर्य ग्रहण के पीछे की क्या है कहानी...
सूर्य ग्रहण की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं और असुरों के बीच विवाद खड़ा हो गया तो इसके समाधान के लिए विष्णु भगवान ने मोहिनी एकादशी के दिन मोहिनी रूप धारण किया। इसके बाद उन्होंने देवताओं और दानवों को अलग-अलग पंक्ति में खड़ा होने के लिए कहा। परंतु असुरों ने धोखे से देवताओं की पंक्ति में लगकर अमृत पान कर लिया।
देवताओं में से चंद्र और सूर्य देव में राहु को यह छल करते हुए देखा, तो इस बात को उन्होंने भगवान विष्णु से कहा। इसके बाद भगवान ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर काटकर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन राहु की मृत्यु नहीं हो पाई क्योंकि उसने पहले ही अमृत पी लिया था। इस घटना के बाद धड़ से अलग हुआ सिर राहु और बाकी शरीर केतु के नाम से जाना गया। सूर्य और चंद्र देव द्वारा राहु की शिकायत विष्णु भगवान से करने के कारण इस घुटन के बाद राहु-केतु सूर्य तथा चंद्र देव को अपना दुश्मन समझ बैठे। यही कारण है कि हर साल राहु-केतु सूर्य देव पर अमावस्या के दिन और चंद्र देव पर पूर्णिमा के दिन ग्रहण लगाते हैं।
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Published on:
29 Apr 2022 10:03 am
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