
som pradosh vrat
Chaitra Som Pradosh: हर महीने की त्रयोदशी तिथियां भगवान शिव की पूजा और व्रत के लिए समर्पित हैं। इस दिन दिन भर व्रत रहकर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस समय भगवान शिव प्रसन्न होकर कैलाश पर नृत्य करते हैं और इस समय की गई पूजा स्वीकार कर भक्त के सब दुख दूर करते हैं।
इसी के साथ मृत्यु के बाद भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 3 अप्रैल सोमवार को पड़ रही है। इसलिए इस व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहेंगे। भगवान शिव की पूजा का वार और उनकी पूजा की तिथि एक ही समय होना अद्भुत और शुभ संयोग माना जा रहा है।
सोम प्रदोष व्रत चैत्र डेट (Som Pradosh Vrat Chaitra 2023 Date): चैत्र माह की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 3 अप्रैल 2023 को सुबह 6.24 बजे हो रही है, जो 4 अप्रैल 2023 को सुबह 8.05 बजे संपन्न होगी। लेकिन प्रदोष पूजा शाम को होने से प्रदोष व्रत तीन अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन सोम प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 6.40 बजे से रात 8.58 बजे तक है।
सोम प्रदोष का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सोम प्रदोष व्रत का फल दो गायों का दान करने के बराबर होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सब कष्ट दूर होते हैं। सोम प्रदोष व्रत रखने से चंद्र दोष दूर होता है और मन के कारक चंद्रमा की स्थिति कुंडली में मजबूत होती है।
मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है। खास बात है कि अप्रैल महीने में दो सोम प्रदोष व्रत पड़ रहे हं। दूसरा सोम प्रदोष व्रत 17 अप्रैल को रखा जाएगा। प्रदोष काल में संध्या वंदना और ध्यान पूजन करने से भगवान सूर्य भी प्रसन्न होते हैं। सूर्य ग्रह भी अनुकूल होते हैं।
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
सोम प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त से 45 मिनट पहले से 45 मिनट बाद की अवधि के बीच के समय यानी प्रदोषकाल में पूजा करना चाहिए।
1. इस दिन सुबह स्नान ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. हल्के लाल या गुलाबी रंग के कपड़े पहनें।
3. चांदी, तांबे के लोटे से शुद्ध शहद एक धारा के रूप में शिवलिंग पर अर्पित करें।
4. इसके बाद शुद्ध जल से 108 बार ऊँ सर्व सिद्ध प्रदाये नमः मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
5. इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप करना चाहिए।
सोम प्रदोष पर न करें ये काम
1. सोम प्रदोष के दिन अन्य प्रदोष व्रत की तरह काले कपड़े न पहनें।
2. पिता और गुरु का अनादर न करें।
3. सोम प्रदोष व्रत के दिन किसी तरह का हिंसक कार्य और महिलाओं का अनादर करने से बचें। इससे व्रत का फल निष्फल हो जाता है।
4. जहां भगवान शंकर की पूजा करनी है, वहां साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाकर रखें।
Updated on:
02 Apr 2023 02:55 pm
Published on:
02 Apr 2023 02:54 pm
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