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Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्माजी की आरती गाने से मिलती है सिद्धि, कल कारखानों में नहीं होती मशीनरी खराब, जानें पूजा विधि और प्रमाणिक आरती

Vishwakarma Ji's Aarti भगवान विश्वकर्मा देवताओं के इंजीनियर माने जाते हैं, तमाम अस्त्र-शस्त्र और भवन निर्माण का श्रेय उनको दिया जाता है। इसलिए विश्वकर्मा जयंती पर कारीगर, शिल्पकार और इंजीनियर अपने उपकरणों की पूजा करते हैं। कल 17 सितंबर को उनकी जयंती पर विश्वकर्मा पूजा है, ऐसे में जान लें वह आरती जिससे प्रसन्न होकर विश्वकर्माजी सिद्धियां प्रदान करते हैं और कल कारखाने के उपकरणों में खराबी नहीं आती तो आइये जानते हैं विश्वकर्माजी की प्रामाणिक आरती और विश्वकर्मा पूजा विधि

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Pravin Pandey

Sep 16, 2023

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vishwakarmaji aarti

विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja vidhi)
1. विश्वकर्मा जयंती पर सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद ऑफिस, दुकान या अपने कार्यस्थल की अच्छी तरह से सफाई करें।
2. सारे उपकरण, मशीनों को साफ करें और इनपर गंगाजल छिड़कें।
3. अब पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कर चौकी रखें और उसपर पीला कपड़ा बिछाएं।


4. चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करें और कलश रखें, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, फूल माला से भगवान की पूजा करें।
5. इसके बाद फूल अक्षत लेकर ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम मंत्र पढ़ें और चारो ओर छिड़कें।
5. इसके बाद सभी मशीन और औजार आदि पर रक्षा सूत्र बांधें और प्रणाम करें।
6. भोग लगाएं और भगवान विश्वकर्मा की आरती कर सभी में प्रसाद वितरण करें।

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विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Ji Aarti)

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा
आदि सृष्टि मे विधि को,
श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में,
ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...

ऋषि अंगीरा तप से,
शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का,
सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...

रोग ग्रस्त राजा ने,
जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर,
दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...

जब रथकार दंपति,
तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना,
विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...

एकानन चतुरानन,
पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,
सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...

ध्यान धरे तब पद का,
सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे,
अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...
श्री विश्वकर्मा की आरती,
जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी,
सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥