
विश्वकर्मा पूजा पर पुत्रों नल नील के शाप की कथा और शुभ मुहूर्त
विश्कर्मा पूजा 2023 मुहूर्त
सुबह का मुहूर्तः 17 सितंबर 2023 को सुबह 07.50 से दोपहर 12.26 बजे तक
दोपहर का मुहूर्तः 17 सितंबर 2023 को दोपहर 01.58 से दोपहर 03.30 बजे तक
विश्वकर्मा पूजा पर अति शुभ योग (vishwakarma puja muhurt yog)
पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा पूजा के दिन चार शुभ योग बन रहे हैं। इसके अलावा आज कन्या संक्रांति भी है, इसलिए इस दिन का महत्व बढ़ गया है। क्योंकि सूर्यदेव और विश्वकर्माजी के दामाद है। इसलिए दोनों की साथ पूजा का विशेष महत्व है और यह बहुत शुभफलकारी है।
द्विपुष्कर योगः सुबह 10.02 बजे से सुबह 11.08 बजे तक
अमृत सिद्धि योगः सुबह 06.07 बजे से सुबह 10.02 बजे तक
ब्रह्म योगः 17 सितंबर 2023 को सुबह 04.13 बजे से 18 सितंबर सुबह 04.28 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः 17 सितंबर को सुबह 06.07 बजे से सुबह 10.02 बजे तक
विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति का क्षणः 17 सितंबर शाम 05:13 बजे
नल-नील के शाप की कथा
एक कथा के अनुसार नल और नील विश्वकर्मा जी के पुत्र थे। नल और नील वानर प्रजाति के थे और इनका स्वभाव चंचल स्वभाव था। ये ऋषि-मुनियों के साथ ही रहते थे। जब वे छोटे थे, तब अपने चंचल स्वभाव के कारण तपस्या करने वाले ऋषियों-मुनियों को बहुत तंग करते थे। वे ऋषि-मुनियों के सामान नदी में फेंक दिया करते थे। जब ऋषि मुनि अपनी साधना से उठते तो उन्हें कोई सामान नहीं मिलता। वे परेशान होते। इस तरह उनकी आदतों से परेशान एक ऋषि ने एक दिन दोनों को श्राप दे दिया कि उनके द्वारा जल में फेंकी गई कोई भी वस्तु डूबने की बजाय उस पर तैरने लगेगी। उसके बाद से वे जो भी वस्तु जल में फेंकते तो वह तैरने लगती।
कालांतर में नल-नील किष्किन्धा की सेना के सेनापति बन गए। जिन्होंने भगवान श्रीराम की मदद के लिए राम सेतु बनवाया। जब भगवान श्रीराम वानर सेना के साथ समुद्र तट पर पहुंचे तो रास्ते के लिए उन्होंने समुद्र देव का आह्वान किया। समुद्र देव ने प्रकट होकर उनकी समस्या के निराकरण के लिए नल-नील को मिले श्राप के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इनके श्राप को ही आधार बनाकर आप अन्य वानरों की सहायता से इन्हें पत्थर, चट्टान इत्यादि लाकर दें और ये जो भी वस्तु समुद्र में फेंकेंगे ,वह उसके तल पर तैरने लगेगी। वे पत्थरों पर राम का नाम लिखकर समुद्र में फेंकते और पत्थर तैरने लगता। इस तरह समुद्र में 100 योजन राम सेतु तैयार हुआ। इस तरह नल-नील को मिला शाप राम काज में सहायक हुआ।
Updated on:
17 Sept 2023 02:08 pm
Published on:
16 Sept 2023 09:54 pm
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