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भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ाए जाते हैं तुलसी के पत्ते? ये है धार्मिक कारण

भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन शिवलिंग पर दूध, दही, चंदन, शहद, घी, केसर और जल आदि अर्पित करते हैं। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते चढ़ाना वर्जित माना गया है।

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भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ाए जाते हैं तुलसी के पत्ते? ये है धार्मिक कारण

हिंदू धार्मिक शास्त्रों में भगवान भोलेनाथ की महिमा का काफी वर्णन मिलता है। मान्यता है कि त्रिदेवों में से एक भगवान शिव अपने भक्तों की पुकार बड़ी जल्दी सुन लेते हैं और मनवांछित फल देते हैं। वहीं ज्योतिष अनुसार भगवान शिव की पूजा के कई नए नियम भी बताए गए हैं। जहां एक तरफ भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन शिवलिंग पर दूध, दही, चंदन, शहद, घी, केसर और जल आदि अर्पित करते हैं। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते चढ़ाना वर्जित माना गया है। तो आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की धार्मिक मान्यता...

क्यों नहीं चढ़ाए जाते हैं भोलेनाथ पर तुलसी के पत्ते?

एक पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बाद एक जलंधर नाम का मशहूर था जिसकी पत्नी का नाम वृंदा था। उस असुर से हर कोई परेशान रहता था। लेकिन उस राक्षस की पत्नी वृंदा बेहद पतिव्रता स्त्री थी इसलिए उसके तप के कारण उसके पति जलंधर की हत्या कोई नहीं कर पा रहा था।

लेकिन एक दिन भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण करके उसकी पत्नी वृंदा के पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया। वृंदा को यह बात मालूम पड़ते ही उसने स्वयं को अग्नि के हवाले कर दिया। माना जाता है कि जहां वृंदा ने अग्नि में आत्मदाह किया था वहां से तुलसी का पौधा उग आया। तब वृंदा ने भोलेनाथ की पूजा में तुलसी का उपयोग न करें का श्राप दे दिया। इस कारण तभी से भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल शुभ नहीं माना गया है।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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