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Skand Shashthi Puja Vidhi: स्कंद षष्ठी पर पूजा की यह है विधि, इस दिन इन चीजों से रहें दूर

हर देवता की पूजा विशेष रूप से की जाती है। शनिवार को स्कंद षष्ठी (Skand Shashthi Puja Vidhi) है और इस दिन स्कंद षष्ठी पूजा को लेकर असमंजस में हैं तो जानिए पूजा विधि और जरूरी नियम (Skand Shashthi Niyam)।

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Pravin Pandey

Feb 24, 2023

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skand shashthi vrat

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती के साथ कार्तिकेय की पूजा की जाती है। जानिए स्कंद षष्ठी पर पूजा की विधि।


1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें, इसके बाद स्नान-ध्यान कर सर्वप्रथम व्रत संकल्प लें।
2. पूजा स्थल पर मां गौरी और शिवजी के साथ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा पूजा चौकी पर स्थापित करें।
3. महादेव, माता पार्वती और कार्तिकेय की पूजा जल, मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र आदि से करें।
4. अंत में आरती आराधना करें। शाम को कीर्तन-भजन और आरती करें। इसके बाद फलाहार करें।

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स्कंद षष्ठी का महत्व
हर कार्य में सफलता, संतान प्राप्ति और संतान के कल्याण के लिए स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। इसके अलावा नवरात्रि के पांचवें दिन देव सेनापति कार्तिकेय की माता यानी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। अतः स्कंद यानी कार्तिकेय की पूजा करने से स्कंदमाता भी प्रसन्न होती है और व्रत करने वाले इंसान की सभी मनोकामना पूरा करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कार्तिकेय का जन्म हुआ है।

व्रत के नियम
प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार स्कंद षष्ठी पर भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। इस दौरान अखंड दीपक जलाना चाहिए, भगवान को स्नान कराना चाहिए। भगवान को भोग लगाने के साथ गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। इस दिन मांस, शराब, प्याज, लहसुन का त्याग करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना इस व्रत में जरूरी होता है। पूरे दिन संयम से रहना चाहिए।

कब है स्कंद षष्ठीः फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी 25 फरवरी शनिवार को पड़ रही है। फाल्गुन षष्ठी की शुरुआत 25 फरवरी 12.31 एएम से हो रही है और यह तिथि 26 फरवरी 12.20 एएम तक है। यह व्रत मुख्य रूप से दक्षिण भारत के लोग रखते हैं।