हिरण्याक्ष और
हिरण्यकशिपु ने जब दीति के गर्भ से जुड़वां बच्चों रूप में जन्म लिया, इनके जन्म से
पृथ्वी कांप उठी, आकाश में नक्षत्र एवं लोक डोलने लगे, समुद्र में भयंकर लहरें उठने
लगीं। ऎसा ज्ञात हुआ, मानो जैसे प्रलय का आगमन हो गया हो। इतना भयानक था इन दोनों
का जन्म लेना। यह दोनों दैत्य जन्म उपरांत ही बड़े हो गए। इनका शरीर वज्र के समान
कठोर और विशाल हो गया, दोनों बलवान थे और संसार में अजेयता और अमरता प्राप्त करना
चाहते थे इसलिए हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु दोनों ने ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के
लिए कठोर तप किया।