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करवा चौथ 2017: व्रत रखकर सुहागिन मांगेंगी सुहाग की लंबी आयु, शिव-पार्वती की होगी पूजा-अर्चना

करवाचौथ आज: रीवा में रात 8 बजे दिखेगा चांद, सज-धजकर रहें तैयार

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रीवा

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Dilip Patel

Oct 08, 2017

vrat katha in hindi karwa chauth puja vidhi

vrat katha in hindi karwa chauth puja vidhi

रीवा। करवा चौथ का व्रत कार्तिक हिन्दू माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह शुभ अवसर आज है। सुहागिनें सज-धज कर चांद का दीदार करेंगी और पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत तोड़ेंगी। यह व्रत पति की दीर्घायु एवं आरोग्य की कामना के लिए रखा जाएगा।

रविवार को चतुर्थी तिथि सायंकाल 4.58 बजे प्रारंभ होगी। चंद्रोदय के समय चतुर्थी तिथि व्याप्त रहेगी। कृतिका नक्षत्र में सुहागिनों द्वारा करवाचौथ का व्रत मनाया जाएगा। करवाचौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण किया जाता है। विवाहित महिलाएं पति की दीर्घ आयु के लिए करवाचौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं।

चल रहा तैयारियों का दौर
शहर में पर्व की तैयारियोंं का दौरा पूरे दिन चला। करवाचौथ और पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए सुहागिनों से शहर के बाजार गुलजार रहे। फोर्ट रोड पर जाम की स्थिति बनी रही। यहां खरीदारी करने के लिए पूरे दिन भीड़ जमा रही। शिल्पी प्लाजा, गुड़हाई बाजार, सिरमौर चौराहा सहित अन्य स्थानों पर भी भीड़ बनी रही।

सज-संवर रही महिलाएं
करवाचौथ पर चंाद के दीदार के वक्त सुहागिनें सजती-संवरती है। इसके लिए पूरे दिन शहर के ब्यूटीपार्लरों में लाइन लगी रही। हाथों में कहीं मेंहदी रचाने का सिलसिला चला तो कहीं मेकअप का।

करवा चौथ के शुभ मुहूर्त
पूजन का मुहूर्त: सायं 5.45 बजे से 6.55 बजे तक।
रीवा नगर का चंद्रोदय: रात्रि 07.58 बजे।’


जानिए करवा चौथ व्रत कथा
करवा चौथ पर्व में सर्वाधिक महत्व चंद्रोदय एवं व्रत कथा का है। व्रत कथा के श्रवण के पश्चात ही चंद्र पूजन करते हुए व्रत का पारण किया जाता है। ज्योतिषी राजेश साहनी के अनुसार करवाचौथ की अनेक व्रत कथाओं का प्रचलन है लेकिन सर्वाधिक मान्य वीरावती की व्रत कथा मानी गई है।

हर माह की चौथ को व्रत करने की सलाह

देवी इन्द्राणी ने वीरावती को करवाचौथ के व्रत के साथ-साथ पूरे साल में हर माह की चौथ को व्रत करने की सलाह दी थी और उसे आश्वासित किया था कि ऐसा करने से उसका पति जीवित लौट आएगा। देवी के वचनों का पालन करते हुए वीरावती ने संपूर्ण निष्ठा के साथ करवाचौथ का व्रत किया, जिससे उसके पति की रक्षा हो सकी। मान्यता है कि इस पौराणिक घटना के बाद से ही हिन्दू धर्म में करवाचौथ का व्रत प्रचलन में आया।