जानिए बुंदेलखंड के बारे में
बुन्देलखंड मध्य भारत में स्थित है। इसका प्राचीन महत्व है। मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में इसकी सीमाएं हैं। इस क्षेत्र ही मुख्य बोली बुंदेली है। इतिहास में यहां कई शासकों और वंशों के शासन बावजूद बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई अनेक विभूतियों ने जन्म लिया, जिनमें आल्हा-ऊदल, ईसुरी, कवि पद्माकर, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, डॉ. हरिसिंह गौर हैं।
इतिहास, संस्कृति और भाषा के क्षेत्र में बुंदेलखंड एक विस्तृत प्रदेश है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इतिहासकार जयचंद्र विद्यालंकार ने ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टियों के तहत बुंदेलखंड को कुछ रेखाओं में समेटा है। जिसके अनुसार विंध्यमेखला का तीसरा प्रखंड बुंदेलखंड है, जिसमें बेतवा (वेत्रवती), धसान (दशार्ण) और केन (शुक्तिगती) के कांठे, नर्मदा की ऊपरी घाटी और पचमढ़ी से अमरकंटक तक का हिस्सा सम्मिलित है। पूर्वी सीमा टोंस (तमसा) नदी है।
जानकारी अनुसार वर्तमान भौतिक शोधों के आधार पर बुंदेलखंड को एक भौतिक क्षेत्र घोषित किया गया है। जिसके तहत इसकी सीमाएं उत्तर में यमुना, दक्षिण में विंध्य पलेटो की श्रेणियों, उत्तर-पश्चिम में चंबल और दक्षिण-पूर्व में पन्ना-अजयगढ़ श्रेणियों से घिरा हुआ क्षेत्र बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है। इसमें उत्तर प्रदेश के जालौन, झांसी, ललितपुर, चित्रकूट हमीरपुर, बांदा और महोबा वहीं मध्य प्रदेश के सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दतिया के अलावा भिंड जिले की लहार और ग्वालियर जिले की मांडेर तहसीलें व रायसेन और विदिशा जिले का कुछ भाग भी शामिल है।