
cantonment board sagar swachhta ranking
सागर. स्वच्छता रैकिंग में आखिर छावनी प्रशासन की अदूरदर्शिता के चलते सागर कैंट बोर्ड की नेशनल लेवल पर रैंकिंग 12 पायदान फिसल गई। पिछले वर्ष स्वच्छता के मामले में देश के टॉप 10 में से ९वां स्थान हासिल करने वाला सागर कैंट बोर्ड को इस पार 21 वे नंबर पर रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार सागर को हर स्तर निराशा का सामना करना पड़ा है क्योंकि हर केटेगरी में नंबर घटे हैं और सॢटफिकेशन में तो यह औसत से भी नीचे चले गए हैं। इस स्थिति के लिए छावनी प्रशासन द्वारा सर्वेक्षण के नाम पर हुई औपचारिता व मैदानी क्रियान्वयन के स्थान पर दफ्तरी हेरफेर को वजह माना जा रहा है। बुधवार को रैकिंग जारी होने के बाद छावनी परिसर में कोई हलचल नहीं हुई और अधिकारी भी चुप्पी साधे रहे। हांलाकि प्रदेश के 5 कैंट क्षेत्रों में सागर अव्वल रहा है।
पत्रिका ने जनवरी में किया था आगाह
छावनी क्षेत्र में इस बार रैली-बैनर व नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों में जागरुकता को अधिक प्राथमिकता दी गई। गत सर्वेक्षण से पहले जहां अधिकारी स्वयं सड़कों पर उतरकर स्वच्छता अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे थे वहीं इस बार इस मामले में ढिलाई बरती गई। सदर-कजलीवन क्षेत्र की सफाई अव्यवस्था और दुकानदारों द्वारा फैलाए जाने वाले कचरे के संबंध में पत्रिका ने 5जनवरी को प्रकाशित समाचार के माध्यम से छावनी प्रशासन को आगाह किया था।
निर्माणाधीन सड़क ने भी लगाया बट्टा
झांसी बस स्टैंड क्षेत्र में पिछले पांच महीने से सड़क का निर्माण चल रहा है। निर्माण एजेंसी द्वारा आधे हिस्से को खोदकर छोड़ दिया है जिससे कबूला पुल से राठौर बंगला क्षेत्र में दिनभर धूल उड़ती रहती है। मिट्टी और गिट्टी के कारण केवल यही नहीं आसपास के सदर मुहालों में भी कचरा उड़ता रहता है। इसे भी स्वच्छता की रैंकिंग के मामले में छावनी के पिछडऩे की वजह माना जा रहा है। क्योंकि सड़क उखाड़कर छोडऩे के मामले में छावनी निर्माण एजेंसी पर एक बार भी दबाव नहीं बना सकी है अव्यवस्था गहराती रही।
संसाधनों पर ही देते रहे ध्यान
स्वच्छता अभियान में 2018 में नेशनल रैंकिंग में देश के 62 में से टॉप 10 स्वच्छ कैंटोन्मेंट में स्थान बनाने में कामयाब रहा था। तब अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सड़कों पर सक्रिय रहे लेकिन इस बार छावनी प्रशासन पूरे समय संसाधन जुटाने में ही लगा रहा। जेसीबी मशीन, डस्टबिन और अन्य उपकरण तो खरीदे गए लेकिन उनका उपयोग स्वच्छता कार्य में नहीं किया जा सका।
पार्षद-एंबेसडर भी नहीं दिखे सक्रिय छावनी को स्वच्छता अभियान में अव्वल बनाने की कवायद में जनता के प्रतिनिधि के रूप में बोर्ड में बैठने वाले पार्षद और छावनी प्रशासन द्वारा बनाए गए स्वच्छता एंबेसडर भी उदासीन रहे। न तो अभियानों में पार्षदों की सक्रियता रही न एंबेसडर लोगों को जागरुक बनाने के मामले में आगे आए।
सर्टिफिकेशन के औसत से भी नीचे
छावनी को स्वच्छता रैंकिंग में 12 पायदान नीचे आने के पीछे कई कारण अहम माने जा रहे हैं। छावनी को स्वच्छता सर्वेक्षण में 2105.22 अंक हासिल हुए हैं। इनमें सर्विस लेवल प्रोगे्रस के लिए 293.55, सिटीजन फीडबैक के लिए 820.67, डायरेक्ट ऑब्जरवेशन में 841, और सॢटफिकेशन में 150 अंक मिले हैं। सॢटफिकेशन के मामले में छावनी की माॢकंग नेशनल औसत 164.11 से भी कम रही है।
प्रदेश में अव्वल रही सागर छावनी
जहां नेशनल रैंकिंग में सागर छावनी का परफार्मेंस काफी बुरा रहा है वहीं प्रदेश के पांच कैंट बोर्ड में अव्वल होना कुछ राहत भरा रहा है। स्टेट रैंकिंग में अपनी स्थिति मजबूत होने पर तसल्ली दिखाते हुए अधिकारी स्वच्छता अभियान के अगले चरण में नए सिरे से स्थिति सुधारने की तैयारी में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार छावनी की सफाई के मामले में नहीं नहीं सॢटफिकेशन के मामले में पिछड़ी है। स्वच्छता अधीक्षक आरके उपाध्याय का कहना है कि सागर कैंट बोर्ड की स्थिति देश के अन्य छावनी क्षेत्रों से अलग है। यहां अधिकांश हिस्सा कृषि लीज का है और शेष बड़ा क्षेत्र सदर-कजलीवन का है जो कि काफी पिछड़ा है। रैंकिंग के मामले में सागर कैंट 21, मऊ 22, मुरार 41 और पचमढ़ी 60 वे नंबर पर रहा है। इस लिहाज से सागर छावनी प्रदेश में पहले नंबर पर है जबकि जबलपुर जैसा मेट्रो सिटी वाला कैंट प्रदेश में तीसरे और नेशनल रैंकिंग में 52 के स्थान पर रहा है।
Published on:
07 Mar 2019 08:00 am
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