
Collector Preeti Maithil handled the workload sagar
विधानसभा चुनाव के बाद रीवा से स्थानांतरित होकर आईं कलेक्टर प्रीति मैथिल ने शनिवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर कार्यभार ग्रहण कर लिया।
मैथिल 2009 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। कार्यभार ग्रहण के दौरान पूर्व कलेक्टर आलोक कुमार सिंह, जिले के सभी एसडीएम सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
मैथिल ने कार्यभार ग्रहण के उपरांत जिले के राजस्व अधिकारियों की बैठक लेकर जिले की स्थिति के संदर्भ में जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने निर्माणाधीन नए कलेक्ट्रेट भवन का निरीक्षण कर अधिकारियों को निर्देश दिए। इसके अलावा उन्होंने संभागायुक्त मनोहर दुबे से भी मुलाकात की।
सागर. विधानसभा चुनाव के बाद रीवा से स्थानांतरित होकर आईं कलेक्टर प्रीति मैथिल ने शनिवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर कार्यभार ग्रहण कर लिया। मैथिल 2009 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। कार्यभार ग्रहण के दौरान पूर्व कलेक्टर आलोक कुमार सिंह, जिले के सभी एसडीएम सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
मैथिल ने कार्यभार ग्रहण के उपरांत जिले के राजस्व अधिकारियों की बैठक लेकर जिले की स्थिति के संदर्भ में जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने निर्माणाधीन नए कलेक्ट्रेट भवन का निरीक्षण कर अधिकारियों को निर्देश दिए। इसके अलावा उन्होंने संभागायुक्त मनोहर दुबे से भी मुलाकात की।
बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर जिले की कमान संभालते ही कलेक्टर प्रीति मैथिल ने अपनी प्रशासनिक कुशलता का परिचय भी देना शुरू कर दिया है। शनिवार को उन्होंने जिले के अफसरों की बैठक लेकर जिले में चल रहीं विभिन्न प्रशासनिक गतिविधियों की जानकारी ली। सागर जिला मैथिल के लिए नया नहीं है, वे पूर्व में बीना एसडीएम के रूप में कार्य कर चुकी हैं। हालांकि लंबे समय बाद सागर आईं मैथिल को विभागीय गतिविधियों के साथ जिले की विकास परियोजनाओं व सामाजिक सरोकार के कार्य चुनौतियां पेश करेंगे। नई सरकार और नए जन-प्रतिनिधियों के बीच तालमेल बैठाना भी कठिन कार्य होगा। यह बात अच्छी है कि मैथिल को युवा अधिकारियों की टीम मिली है साथ ही अनुभवी कमिश्नर मनोहर दुबे का नेतृत्व भी मिला है। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव भी पारदर्शिता और निर्विघ्न संपन्न कराना मैथिल के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। बहरहाल विंध्य के राजनीतिक माहौल से गुजकर आईं मैथिल को बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर जिले में स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, कृषि, डवलपमेंट, स्मार्ट सिटी, डेयरी व आरा मशीनों को शहर से विस्थापित करने जैसे कार्य चुनौती पेश कर सकते हैं।
डेयरी विस्थापन: आधा दर्जन कलेक्टर चले गए, फिर भी कैटल-फ्री नहीं हो सका शहर
सा गर शहर से डेयरियों के विस्थापन का मसला लंबे समय से अटका है। करीब आधा दर्जन जिलाधीशों ने इस मामले को बढ़ाया है। पिछले दिनों कमिश्नर मनोहर दुबे व पूर्व कलेक्टर आलोक कुमार सिंह की ट्यूनिंग ने इसे तकरीबन पूर्णता के सोपान तक पहुंचा दिया है। अब महज डेयरी संचालकों व नव-निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों की सहमति के साथ ही ग्राम रतौना में डेयरी का ढांचा तैयार करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
इस मामले में कलेक्टर मैथिल की प्रशासनिक सूझ-बूझ योजना को पूर्ण कराने में सहायक सिद्ध होगी। पूर्व में डेयरी इस्टेट के लिए के लिए सागर-भोपाल मार्ग पर स्थित ग्राम रतौना में पशुपालन विभाग ने करीब ५०० एकड़ भूमि आवंटित की है। सागर सहित उप नगर मकरोनिया की डेयरी मिलाकर को करीब ४०० डेयरियां विस्थापित करना हैं।
स्वास्थ्य सेवाएं
जिला अस्पताल में हड्डी और सर्जरी विभाग में डॉक्टरों की कमी है। हालात यह हैं कि हड्डी विभाग बगैर चिकित्सक के चल रहा है, तो ९ महीने से रोगी कल्याण समिति की बैठक नहीं हुई। इससे कई विकास कार्य अटक गए हैं। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में लिफ्ट सेवा अब तक शुरू नहीं हो सकी है। महज दो लिफ्ट का संचालन हो रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पर्याप्त संख्या में चिकित्सक नही हैं, साथ ही चिकित्सकों के अप-डाउन पर भी रोक नहीं लग पा रही है। मकरोनिया नगर पालिका क्षेत्र में स्वीकृत सिविल अस्पताल अब तक ढंग से शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
झील और अतिक्रमण
रा जनीति का बड़ा मुद्दा रही लाखा बंजारा झील के कायाकल्प व शुद्धिकरण का कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण है। इस मुद्दे को लेकर राजनीति गरमाती रही है। सालों से चल रहे इसके जीर्णोद्धार के कार्य अब तक अंजाम तक नहीं पहुंचे हैं। आवास एवं पर्यावरण मंत्री भारत सरकार से भी करोड़ों की राशि पूर्व में स्वीकृत की थी, लेकिन नगर निगम की कार्यप्रणाली के चलते इस राशि का उपयोग नहीं हो सका। पिछले दिनों मानसून पूर्व इसे खाली कराने की नाकाम कोशिश भी हुई लेकिन, नतीजा सिफर ही रहा। अब चूंकि झील का कार्य स्मार्ट सिटी योजना से जोड़ा गया है। लिहाजा कोई ठोस परिणाम सामने आ सकेगा, लेकिन इसके लिए कलेक्टर को गंभीरता के साथ रुचि लेनी होगी।
स्वच्छता: २३वां स्थान मिला था, अब मिल रही चुनौती
स् वच्छता सर्वेक्षण में नगर निगम ने पहली बार भागीदारी कर २३वां स्थान हासिल किया था और इसके लिए यदि सबसे ज्यादा मेहनत पूर्व निगमायुक्त आईएएस कौशलेंद्र विक्रम सिंह व निगम के स्वास्थ्य विभाग के अमले ने की थी। उस समय प्रशासनिक अमले को स्वच्छता सर्वेक्षण में सक्रिय करने में तत्कालीन कलेक्टर विकास सिंह नरवाल ने अहम भूमिका निभाई थी। स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग दिलाने के लिए नवागत कलेक्टर की भूमिका भी अहम होगी।
उद्योग: सिद्गुंवा में कारखानों 'संजीवनीÓ की दरकार
सा गर में बड़े उद्योगों का विकसित न होने के पीछे औद्योगिक क्षेत्र सिद्गुंवा में मूलभूत सुविधाओं की कमी रही है। सबसे ज्यादा जरूरत पानी की है, जिसके कारण मजदूर काम करने को तैयार नहीं होते। सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का भी क्षेत्र में अभाव है। पूर्व में प्लान तो बने, लेकिन जमीन पर नहीं उतर सके। सागर नगर के सुभाष नगर स्थित औद्योगिक क्षेत्र के साथ ही शहर में चल रहीं आरा मशीनों का विस्थापन सिद्गुंवा में है, पर ढुलमुल प्रशासनिक रवैए के कारण वह भी अटका है।
स्कूल शिक्षा: लैब, बिजली, पानी जैसी सुविधाएं भी नहीं
जि ले में स्कूल शिक्षा की स्थिति बदहाल है। शहर के ही स्कूलों में लैब, बिजली, पानी और शौचालय जैसी सुविधाओं का अभाव है। जिले की बात करें तो हाईस्कूल १८६, हायर सेकंडरी १०९, प्रायमरी २३३० और मिडिल ९३० स्कूलों हैं। इन स्कूलों में लगभग ३००० से ज्यादा शिक्षकों की कमी है। वर्तमान में १५०० से अधिक अतिथि शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। कैंट स्थित एमएलबी स्कूल (क्रं२), पुरानी सदर को जर्जर भवन में लगाया जा रहा है। ६०० से अधिक शालाओं में बिजली के कनेक्शन नहीं है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत लाखों रुपए आने के बावजूद भी शौचालयों में गंदगी है, अधिकांश स्कूल में शौचालय ताले में कैद है। विद्यार्थियों के लिए आधुनिक लैब नहीं है। लैब के उपकरण वर्षों पुरानी है, जिनका उपयोग वर्षों से नहीं हो रहा है। पत्रिका के द्वारा लगातार स्कूलों में लैब की कमियों के मु²े उठाए जा रहे हैं।
उच्च शिक्षा: कॉलेजों को भी सुविधाओं की दरकार
ए क्सीलेंस गल्र्स और आट्र्स एंड कॉमर्स अग्रणी कॉलेज में प्रयोगशालाओं का स्तर लगातार गिर रहा है। बगैर प्रैक्टिकल नॉलेज के छात्र यूजी और पीजी पास हो रहे हैं। गल्र्स डिग्री कॉलेज के आसपास आसमाजिक तत्वों और मनचलों पर कार्रवाई करना। अतिथि विद्वानों की तैनाती न होने से दोनों प्रमुख कॉलेजों में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
ट्रैफिक: आए दिन लगता है जाम, रेंगते हैं वाहन
श हर की यातायात व्यवस्था पुराने ढर्रे पर चल रही है। प्रमुख बाजारों व मार्गों पर अतिक्रमण व बेलगाम खड़े होने वाले वाहनों के कारण आए दिन जाम लगता है। वाहन रेंगते हुए चलते हैं। कटरा बाजार, गुजराती बाजार, राधा तिराहा, रेलवे स्टेशन रोड, राहतगढ़ बस स्टैंड, विजय टॉकीज रोड आदि प्रमुख मार्गों पर आए दिन जाम लगता है। नगर निगम व जिला व पुलिस प्रशासन सुगम यातायात के लिए तमाम प्रयास करते हैं, लेकिन सफलता नहीं मिलती है। सबसे बड़ी बाधक बनी मालगोदाम की शिफ्टिंग का मसला अटका है, साथ ही तीसरी लाइन में तिलकगंज स्थित मालगोदाम बड़ी बाधा बना है। अप्सरा टॉकीज के पास दूसरे अंडर ब्रिज निर्माण के बाद वन-वे सिस्टम भी लागू करना होगा।
Published on:
23 Dec 2018 01:58 pm
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