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तीन माह का राशन वितरण और कोरोना वायरस की दहशत, किसानों को नहीं मिल रहे मजदूर

स्थानीय स्तर पर पहले ही हो चुकी है मजदूरों की कमी, रबी व खरीफ सीजन में जिले के किसान कटनी, शहडोल क्षेत्र से लाते थे मजदूर, रेट बढ़े और समय से कटाई कराने की चिंता

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तीन माह का राशन वितरण और कोरोना वायरस की दहशत, किसानों को नहीं मिल रहे मजदूर

तीन माह का राशन वितरण और कोरोना वायरस की दहशत, किसानों को नहीं मिल रहे मजदूर

सागर. सरकारी गोदामों को खाली करने के लिए प्रदेश में वितरण किया गया तीन माह का राशन किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। मजदूर वर्ग के पास पर्याप्त राशन होने के कारण अब अधिकांश परिवार मजदूरी करने से परहेज कर रहे हैं, नतीजतन किसानों के लिए खेतों में खड़ी फसलों की कटाई और थ्रेसर आदि कराने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। स्थानीय स्तर पर तो मजदूरों की कमी पहले से ही थी, जिसके कारण किसान बाहरी मजदूरों का सहारा लेने लगे थे, लेकिन कोरोना वायरस के डर के चलते जिले के बाहर से आने वाली मजदूरों की टोलियां भी आने से मनाही कर रहीं हैं।

दूसरे जिलों से लाते थे मजदूर
जिले में मजदूरों की कमी और बढ़ती दैनिक मजदूरी के कारण बीते कुछ सालों से जिले के किसान बाहरी मजदूरों का सहारा लेने लगे हैं। इसके लिए जिले में सबसे ज्यादा मजदूर कटनी, शहडोल, उमरिया क्षेत्र से आते थे। जिले के बड़े किसान अधिकांश काम कुछ सालों से बाहरी मजदूरों से ही करा रहे हैं। कटनी, शहडोल से 50-100 मजदूरों की टोलियां परिवार सहित आती थीं, जो पूरे सीजन यहीं डेरा लगाकर काम करती थीं, लेकिन इस बार अब तक बाहरी मजदूर नहीं आए हैं।

मौसम ने डाला चिंता में
रहली क्षेत्र के किसान अजय चौबे ने बताया कि स्थानीय स्तर पर मजदूरी की दरें हर रोज बढ़ रहीं हैं। मजदूरों के न मिलने से किसानों को सबसे बड़ी चिंता समय से फसलों की कटाई कर उपज को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की है। क्योंकि प्रदेश के अन्य जिलों की तरह जिले में भी हर रोज बदल रहे मौसम के कारण बारिश, ओलावृष्टि ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। चौबे ने बताया कि इस बार फसलें तो बीते सालों की तुलना में बेहतर हैं, लेकिन बारिश के कारण फसलों की कटाई और उपज को सुरक्षित स्थानों पर भंडारण की चिंता सता रही है।