
आफत बनकर बरसे ओले, आकार इतना बढ़ा कि खेतों में बिछ गई फसलें, घरों के फूटे कबेलू
सागर. खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर किसानों के चेहरे खुशी से खिले हुए थे, लेकिन गुरुवार को हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की हंसी छीन ली है। अचानक से आफत बनकर बरसे इस प्राकृति प्रकोप ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। इससे जिले के जैसीनगर, रहली और केसली क्षेत्र में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। केसली क्षेत्र में तो ओलों का आकार इतना बड़ा था कि अंचल में बने कच्चे मकानों के कबेलू भी फूट गए तो खेतों में खड़ी फसल जमीन पर बिछ गई, लगभग ऐसी ही स्थिति जैसीनगर और रहली क्षेत्र में भी देखने को मिली। एक अनुमान के अनुसार इस प्राकृति प्रकोप से दर्जनों गांव में फसलों को 40 से 60 फीसदी तक नुकसान हुआ है।
कच्चे घरों के टूट गए कबेलू
केसली क्षेत्र में गुरुवार सुबह अचानक शुरू हुई ओलावृष्टि से अकेले खेतों में नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि अन्य प्रकार के नुकसान भी लोगों को हुए हैं। क्षेत्र में आंवले से भी बड़े आकार के ओले गिरने से कच्चे घरों पर छाए कबेलू भी टूट गए। क्षेत्र के कई गांव में तो ओलावृष्टि के कारण गेहूं, चना और मसूर की फसलें पूरी तरह तबाह हो गई हैं। इसमें जनकपुर, जैतपुर, डोमा, कुकवारा, रामखेरी, उदयपुर, केवलारी, केसली, गुटौरीपाना, समनापुर, मदनपुर, मरामाधा, तूमरी आदि गांव में ज्यादा नुकसान की सूचना है। यहां तो यह भी कहा जा रहा है कि ओलों का आकार बड़ा होने के कारण पक्षीयों की भी मौत हुई है।
बर्बाद हो गई फसलें
जैसीनगर क्षेत्र में भी दर्जन भर से ज्यादा गांव में बारिश के साथ ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद की कगार पर हैं। क्षेत्र में कई जगह तो चना, मसूर की फसलें कटाई के बाद खेतों में पड़ी थीं जो जमीन में ही मिल गई तो वहीं खेतों में खड़ी फसलें भी ओलों की मार से टूटकर जमीन में बिछ गई हैं। जैसीनगर क्षेत्र के डुंगरिया, गोंदई, बेरखेड़ी-गुसाई, चौका, गेहूंरास बुजुर्ग, भजिया, हड़ा, कंदेला, अमोदा, पठा, जमुनिया, केसलोन, मेड़की, जोतपुर, सागौनी, गेहलपुर, बखरा, परासिया, जेरा सहित कई अन्य गांव में आंवले के आकार के ओले गिरे हैं। सूचना के बाद पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष हीरासिंह राजपूत क्षेत्र में पहुंचे और फसलों को हुए नुकसान का जायजा लिया।
खेतों में भर गया पानी
खैराना क्षेत्र गांवों में गुरुवार के सुबह तेज बारिश के साथ ओले गिरे। जब किसान खेतों पर जाकर देखा तो देखा कि पूरा खेत पानी से लबालब है और फसल खेत में बिछ गई। यहां पर चना, मसूर की फसल को तो नुकसान हुआ ही है, लेकिन खेतों में लहलहा रही गेहूं की फसल में भी 40 से 50 फीसदी नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।
ओलों की मार से किसान परेशान
गौरझामर में बारिश के साथ आफत बनकर बरसे ओलों ने किसानों की कमर तोड़ दी है। गौरझामर क्षेत्र में तो आंवला आकर के ओले गिरे हैं, जिससे खेतों में खड़ी फसल जमीन में बिछ गई तो गेहूं की बालियां भी टूट गई। किसान रामचरण अहिरवार ने बताया कि उनकी 5 एकड़ की जमीन में गेहूं की फसल ओलावृष्टि के कारण 60 फीसदी बर्बाद हो गई है। इसके अलावा क्षेत्र में चना, मसूर आदि की फसलों को भी नुकसान हुआ है।
रहली में कई जगह 50 फीसदी नुकसान
गुरूवार सुबह अचानक शुरू हुई बारिश और ओलावृष्टि से रहली क्षेत्र के दर्जन भर से ज्यादा गांव में फसलों को नुकसान हुआ है। लगातार 15-20 मिनिट तक बरसे बेर के आकार के ओलों के कारण खेतों में खड़ी फसल जमीन में बिछ गई। रहली क्षेत्र के चांदपुर, धनगुंवा, चौका, खरगापुर, छीर, तिखि, खैजरा, बरखेरा, रजवांस, बमूराकुंज, छिरारी, कासल पिपरिया, रेवझा, सिकंदर बरखेरा, मोठार खुर्द, रतनपुरा, महूंना, बगासपुरा, गुडाकला आदि गांव में ओलावृष्टि के कारण गेंहू, चना, मसूर के अलावा टमाटर, प्याज, बैगन, लहसुन, मिर्ची सहित अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि की सूचना के बाद कृषि विस्तारक अधिकारी और हलका पटवारी मौके पर पहुचें और मूल्यांकन किया। वरिष्ठ कृषि विस्तारक अधिकारी एनएस नरवैया ने बताया कि ओलावृष्टि तो क्षेत्र के कई गांव में होने की सूचना है, लेकिन रेवझा, कासल पिपरिया व जमुनिया में 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान का अनुमान है। ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा दिलाए जाने की मांग को लेकर क्षेत्र के किसान तहसील कार्यालय पहुंचे और एसडीएम के नाम तहसीलदार मनोज चौरिसया को ज्ञापन सौंपा।
Published on:
20 Mar 2020 09:00 am
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