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पटरी के नीचे ड्रिलिंग करने में छूट रहा पसीना, मशीन भी नहीं पहुंच पाई आरपार

रेलवे की नेटवर्किंग और सिग्नल लाइनों के क्षतिग्रस्त होने का डर सागर. रेलवे पटरियों के नीचे से बिजली सप्लाई लाइन बिछाने के काम को जितना हल्के में लिया जा रहा था वह उतना आसान नजर नहीं आ रहा है। शुरूआत में यह माना जा रहा था कि ड्रिल मशीन एक दिन में पटरियों के नीचे […]

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सागर

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Nitin Sadaphal

May 12, 2025

रेलवे की नेटवर्किंग और सिग्नल लाइनों के क्षतिग्रस्त होने का डर

सागर. रेलवे पटरियों के नीचे से बिजली सप्लाई लाइन बिछाने के काम को जितना हल्के में लिया जा रहा था वह उतना आसान नजर नहीं आ रहा है। शुरूआत में यह माना जा रहा था कि ड्रिल मशीन एक दिन में पटरियों के नीचे से आरपार होल कर देगी और पाइप डालकर उसके अंदर से हाइटेंशन लाइन की केबल बिछा दी जाएगी, लेकिन एक सप्ताह बाद भी मशीन यह काम पूरा नहीं कर सकी है। कंपनी ने 5 मई को मशीन बुलाकर यह काम शुरू कराया था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण 60 मीटर लंबा होल पूरा नहीं हो सका है।

दरअसल भूतेश्वर रेलवे फाटक के पास रेलवे पटरियों के नीचे से गुजरी बिजली की हाइटेंशन लाइन करीब ढाई साल पहले क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसके बाद से धर्मश्री फीडर पर डबल लोड है। 9 हजार परिवारों से जुड़ी इस समस्या को समाप्त करने रेलवे पटरियों के नीचे से बिजली लाइन बिछाई जानी है। इस हाइटेंशन लाइन बिछने से मोतीनगर क्षेत्र में करीला सब स्टेशन से सप्लाई शुरू हो जाएगी और धर्मश्री फीडर का डबल लोड समाप्त हो जाएगा।

दो से तीन मीटर की गहराई पर रेलवे की लाइनें

बिजली कंपनी के अनुसार रेलवे पटरियों के आसपास से रेलवे की भी नेटवर्किंग से लेकर कई अन्य प्रकार की केबल बिछी हुई हैं। यह लाइनें जमीन से करीब दो से तीन मीटर की गहराई पर है। बिजली कंपनी को इन लाइनों को सुरक्षित रखते हुए ही खुद की लाइन बिछाने का काम करना है। यदि रेलवे की केबल क्षतिग्रस्त हुई तो उनका नेटवर्किंग से लेकर सिग्नल तक पूरा सिस्टम फेल होने का खतरा है।

जगह बदल दी है

हमें जमीन के अंदर से गुजरी रेलवे की केबलिंग को सुरक्षित रखकर काम करना है। सप्लाई लाइन डालने के लिए पहले चिन्हित की गई जगह पर ड्रिलिंग करने में दिक्कत हो रही है। इसलिए जगह बदली है। उम्मीद है कि जल्दी काम पूरा हो जाएगा।
- वीएस परते, कार्यपालन अभियंता, निर्माण विभाग