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वीररस से ओतप्रोत आल्हा गीतों ने बांधा समां

रविन्द्र भवन में सांस्कृतिक आयोजन

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Heroic Allah Heroic legend inging

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सागर. रविन्द्र भवन में शुक्रवार को सांस्कृतिक संस्था संभावना समग्र विकास समिति द्वारा संस्कृति संचालनालय भोपाल के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में ढोलक के साथ मंजीरे की धुन और लोक गाथा आल्हा ने सभागार में उपस्थित लोगों को रोमांचित कर दिया।
कार्यक्रम में सबसे पहले पथरीगढ़ की लड़ाई गा कर मालथौन के कलाकार जगदीश विश्वकर्मा ने शुरुआत की। उन्होंने लगा महीना था सावन का और तीजों का था त्यौहार.... गीत गा कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कपिल चौरसिया ने कजलियों की लड़ाई सुनाते हुए कहा सावन महीना लगौं सुहानों रिमझिम रिमझिम गिरे फुहार..... दीपाली भोजक ने मल्हार गा कर वाह वाही लूटी। मंच पर रामप्रसाद अहिरवार बीना ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति दी। संगतकार राकेश कटारिया, राजू चौरसिया, मनोज शिल्पकार, लखन बेन, अभिषेक सेन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो. सुरेश आचार्य व डॉ.आशीष दिवेदी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का निर्देशन लोक कलाकार अतुल श्रीवास्तव ने किया।
संयोजन रचना तिवारी एवं संचालन सुनंदा तिवारी ने किया। इस अवसर पर उमाकांत मिश्र, शिवरतन यादव, शैलेष आचार्य, हरिसिंह ठाकुर, कला गुरु विष्णु पाठक, ज्ञान बुंदेला, दिनेश श्रीवास्तव, गजाधर सागर, शैलेन्द्र सिंह, सुनील राय, अर्चना तिवारी, निधि मिश्रा, अदिति सहित बड़ी संख्या में श्रोता गण उपस्थित रहे।

पचास से भी अधिक तरह का होता है आल्हा गीत
आल्हा गीत की शुरूआत पृथ्वीराज चौहान व संयोगिता के स्वयंवर से होती है, अलग-अलग भाग में अलग-अलग कहानियां हैं, ज्यादातर भाग में युद्ध ही है। आखिरी भाग में महोबा की राजकुमारी बेला के सती होने की कहानी है।
संयोगिता स्वयंवर
परमाल का विवाह
महोबा की लड़ाई
गढ़ माड़ों की लड़ाई
नैनागढ़ की लड़ाई
विदा की लड़ाई
महला- हरण
मलखान का विवाह
गंगा-घाट की लड़ाई
ब्रह्मा का विवाह
नरवर गढ़ की लड़ाई
ऊदल की कैद
चंद्राबलि की चौथी की लड़ाई
चंद्रावली की विदा
इंदल हरण
संगल दीप की लड़ाई
संगल दीप की लड़ाई
आल्हा की निकासी
लाखन का विवाह
गाँ की लड़ाई पट्टी की लड़ाई
कोट कामरु की लड़ाई
बंगाले की लड़ाई
अटक की लड़ाई
जिंसी की लड़ाई
रुसनी गढ़ की लड़ाई
पटना की लड़ाई
अंबरगढ़ की लड़ाई
सुंदरगढ़ की लड़ाई
सिरसागढ़ की लड़ाई
सिरसा की दूसरी लड़ाई
भुजरियों की लड़ाई
ब्रह्म की जीत
बौना चोर का विवाह
धौलागढ़ की लड़ाई
गढ़ चक्कर की लड़ाई
ढ़ेबा का विवाह
माहिल का विवाह
सामरगढ़ की लड़ाई
मनोकामना तीरथ की लड़ाई
सुरजावती हरण
जागन का विवाह
शंकर गढ़ की लड़ाई
आल्हा का मनौआ
बेतवा नदी की लड़ाई
लाखन और पृथ्वीराज की लड़ाई
ऊदल हरण
बेला का गौना
बेला के गौने की दूसरी लड़ाई
बेला और ताहर की लड़ाई
चंदन बाग की लड़ाई
जैतखम्ब की लड़ाई
बेला सती
ये रहे आल्हा लोकगीत के 52 भाग, इसलिए अगली बार जब आल्हा सुनिएगा तो ध्यान से सुनिएगा, क्यों हर भाग एक अलग कहानी सुनाता है।