पाप धोने के लिए और पवित्र होने के लिए पूजा करना चाहिए : निर्भय सागर
आचार्य ने कहा काम ऐसा करो कि दुनिया में पहचान बने। पहचान बनेगी तो विश्वास बढ़ेगा और काम मिलेगा। जिसकी नियत साफ होती है उसकी परमात्मा के द्वार में पुकार होती है।
पाप धोने के लिए और पवित्र होने के लिए पूजा करना चाहिए। पूजा धर्म क्षेत्र की प्रयोगशाला है। प्रवचन और ग्रंथों का अध्ययन धार्मिक जीवन की ज्ञानशाला है। धर्म करने से पुण्य का अर्जन होता है। पुण्य फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह होता है जो इस भव में नहीं अगली भव में मिलता है। धर्म जीवन बीमा है। आदर सुरक्षा की चादर है। यह बात आचार्य निर्भय सागर महाराज ने दिगंबर जैन मंदिर तिलकगंज में प्रवचन के दौरान कही। आचार्य ने कहा काम ऐसा करो कि दुनिया में पहचान बने। पहचान बनेगी तो विश्वास बढ़ेगा और काम मिलेगा। जिसकी नियत साफ होती है उसकी परमात्मा के द्वार में पुकार होती है। परमात्मा भी निमित्त बनकर उसकी मदद करता है। अहंकार और अपशब्दों से संबंध की डाली टूट जाती है। दुर्भावना से खुद की किस्मत खुद से रूठ जाती है। उन्होंने कहा कि दिल का संबंध वायरलेस की तरह होता है जो बाहर दिखता तो नहीं पर अंदर से जुड़ा होता है। संतोष से खुशी मिलती है, क्षमा से संबंधों को मजबूती मिलती है। शुभ ध्यान से संसार से मुक्ति मिलती है।
Hindi News / Sagar / पाप धोने के लिए और पवित्र होने के लिए पूजा करना चाहिए : निर्भय सागर