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भू-राजस्व संहिता में यह हुए बड़े बदलाव, भू-स्वामियों को यह होगा लाभ

भूमि के डायवर्सन के लिए अब किसी को एसडीएम (अनुविभागीय अधिकारी राजस्व) के न्यायालय से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी।

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Major changes in the Land Revenue Code

Major changes in the Land Revenue Code

सागर. भूमि के डायवर्सन के लिए अब किसी को एसडीएम (अनुविभागीय अधिकारी राजस्व) के न्यायालय से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। भूमि स्वामी भूमि का विधि सम्मत डायवर्सन कर सकेगा। उसे केवल डायवर्सन के अनुसार भूमि उपयोग के लिए देय भू-राजस्व एवं प्रीमियम की राशि की स्वयं गणना कर जमा करानी होगी, इसकी सूचना एसडीएम को देना होगी। यह रसीद ही डायवर्सन का प्रमाण मानी जाएगी। अनुज्ञा लेने का प्रावधान अब समाप्त किया जा रहा है। भू-राजस्व संहिता 1949 में संशोधन को लेकर पत्रिका ने पूर्व में विस्तार से समाचार प्रकाशित किया था, इसकी पुष्टि पिछले दिनों सागर आए प्रदेश के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने की थी।
इधर, भू-अभिलेखों के संधारण तथा शहरी भूमि प्रबंधन को अधिक व्यवस्थित बनाने के लिए शहरी क्षेत्रों में अब पटवारी हल्के के स्थान पर सेक्टर का नाम दिया जाएगा। आयुक्त भू-अभिलेख को सेक्टर पुनर्गठन के अधिकार होंगे। भू-अभिलेख संधारण के मामलों में ऐसी भूमियां, जिनका कृषि भूमि में कृषि से भिन्न प्रयोजन के लिए डायवर्सन कर लिया जाता है, उन्हें नक्शों में ब्लॉक के रूप में दर्शाया जाएगा। यदि अनेक भूखण्ड धारक हैं, तो उनके अलग-अलग भू-खण्ड दर्शाए जाएंगे।
नामांतरण के बाद नि:शुल्क प्रति
कलेक्टर आलोक कुमार सिंह बताया कि नामांतरण का आदेश होने के बाद सभी संबंधित पक्षों को आदेश और भू-अभिलेखों में दर्ज हो जाने के बाद उसकी नि:शुल्क प्रति दी जाएगी। यह प्रावधान भी किया गया है कि भूमि स्वामी जितनी चाहे उतनी भूमि स्वयं के लिए रखकर शेष भूमि बांट सकेगा।
निजी एजेंसी करेगी सीमांकन
सीमांकन के मामले जल्द निपटाने के लिए निजी प्राधिकृत एजेंसी की मदद ली जाएगी। जिले के लिए एजेंसी पहले से तय होगी, यदि तहसीलदार द्वारा सीमांकन आदेश के बाद पक्षकार संतुष्ट नहीं है तो वह एसडीएम को आवेदन कर सकेगा। एसडीएम विशेषज्ञ कर्मचारियों की टीम से सीमांकन कराएंगे। पहले यह मामले राजस्व मण्डल ग्वालियर में प्रस्तुत होते थे। ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र में राजस्व सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त से संबंधित रहे भू-राजस्व संहिता के अध्याय 7 एवं 8 को हटाकर एक अध्याय 7 भू-सर्वेक्षण के रूप में रखा जा रहा है। राजस्व सर्वेक्षण के स्थान पर भू-सर्वेक्षण की कार्रवाई कलेक्टर के नियंत्रण में कराई जाएगी। पूरे जिले को भू-सर्वेक्षण के लिए अधिसूचित करने की जरूरत नहीं रहेगी, अब तहसील अथवा तहसील से भी छोटे क्षेत्र को भी अधिसूचित किया जा सकेगा। खसरे में छोटे-छोटे मकानों के प्लॉट का भी इंद्राज हो सकेगा।
अतिक्रमण पर एक लाख का जुर्माना
सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के मामलों में अब अधिकतम एक लाख रुपए व निजी भूमि के मामले में 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान होगा, इसके साथ ही जिस भूमि पर अतिक्रमण होगा उसे अतिक्रामक से 10 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष के मान से मुआवजा भी दिलाया जा सकेगा। वर्तमान में अतिक्रमित भूमि के मूल्य का 20 प्रतिशत तक अर्थ दण्ड के प्रावधान थे।