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NIRF रैंकिंग की फ्रेम से विवि बाहर, फार्मेसी विभाग ने हिस्सा ही नहीं लिया

एनआइआरएफ में तीसरे साल जगह नहीं बना पाया विवि ओवरऑल रैंकिंग में ही लिया था हिस्सा  

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सागर

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Aakash Tiwari

Apr 04, 2018

https://www.patrika.com/sagar-news/violence-in-sc-st-bharat-band-side-effect-2595314/

सागर. देश की ख्यात यूनिवर्सिटी में शुमार डॉ. हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी की साख पर आखिरकार बट्टा लग ही गया। एनआइआरएफ (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) में लगातार दो साल विवि और इसके फार्मेसी विभाग ने अलग-अलग प्रतिस्पर्धा में जगह बनाई थी, लेकिन इस बार दोनों जगह से पत्ता साफ हो गया। ओवरऑल रैंकिंग के साथ विषयवार रैंकिंग की सूची से भी विवि का नाम बाहर है। रैंकिंग की ओवरऑल या यूनिवर्सिटी की श्रेणी में सागर विवि का कहीं नाम नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि विवि के फार्मेसी विभाग ने इसमें हिस्सा ही नहीं लिया। हां, निजी संस्थान ने जरूर सहभागिता की, लेकिन नंबर नहीं लगा।

इस वजह से गिर रही विवि की साख
टीचिंग, लर्निंग, रिर्सोसेज में शिक्षक-छात्रों का अनुपात विवि में सही नहीं।
वर्तमान में विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर की संख्या बेहद कम है।
कम संख्या में नेशनल-इंटरनेशनल रिसर्च पेपर पब्लिक हो रहे हैं।
गे्रजुएशन आउटकम भी विश्वविद्यालय में पिछले वर्षों में कम हुई है।

ये है केंद्रीय विश्वविद्यालय की हकीकत
२०१६ में सागर विवि का नंबर देश की टॉप यूनिवर्सिटी में इसलिए लग गया था क्योंकि बहुत कम विश्वविद्यलायों ने इसमें हिस्सा लिया था। २०१७ में देश के नामी संस्थान इस मामले में एक्टिव हुए तो सागर विवि का नाम सूची से बाहर हो गया। हालांकि विवि के फॉर्मेसी विभाग का अब भी दबदबा है। सूत्रों की मानंे तो रैंकिंग गिरने के डर से इस बार विभाग ने इस प्रतिस्पर्धा में भाग नहीं लिया।

२०१६ में सागर विवि ने ६३.६९ स्कोर के साथ देश में ३९वीं रैंक हासिल की थी।
२०१७ में फार्मेसी विभाग देश में ५१.१३ स्कोर पाकर ११वें पायदान पर रहा था।

विवि ने ओवरऑल रैंकिंग में हिस्सा लिया था, पर एनआइआरएफ के पैरामीटर्स के हिसाब से हमारे यहां सुविधाएं नहीं हैं। कुछ मामलों में इस बार स्थिति सुधरी है, लेकिन उनके सहारे रैंकिंग में जगह बना पाना संभव नहीं था। इस शैक्षणिक सत्र से कुछ मामलों में सुधार होने की उम्मीद है।
-प्रो. आरपी तिवारी, कुलपति, डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि