
सागर. पोलियो एक गंभीर बीमारी है। जिससे बचने के लिए हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए। वैसे तो भारत को पोलियो मुक्त का ठप्पा लग चुका है, लेकिन इसके बाद भी पोलियो पीडि़तों की संख्या कम नहीं है। पोलियो जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए हमें कैसे अवेयर रहना है। यह जानकारी ६ से १२ अगस्त तक चलने वाले पोलियो अवेयरनेस वीक के दौरान आपको मिलेगी। इस दौरान बच्चों द्वारा प्रभात फेरी निकालकर दो बूंद दवा, पोलियो हवा के नारे लगाए जाएंगे तो दीवार लेखन कर पोलियो रोधक दवा अपने बच्चों को पिलाने के लिए आपको अवेयर करने का प्रयास किया जाएगा। चलिए जान लेते है कि पोलिया क्या है और कैसे इसकी रोकथाम की जा सकती है।
बताया जाता है कि करीब एक दशक पहले रोटरी इंटरनेशनल ने जोनास साल्क के जन्म के अवसर पर पोलियो दिवस शुरू किया था, जिन्होंने पोलियोमाइलाइटिस के खिलाफ़ टीका विकसित किया।
निष्क्रिय पोलियोवायरस वैक्सीन और लाइव मौखिक पोलियोवायरस वैक्सीन का उपयोग करने के लिए वर्ष 1988 में ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल (जीपीईआई) की स्थापना की गई। यह सार्वजनिक-निजी साझेदारी है, जिसमें रोटरी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए यू.एस. केंद्र, यूनिसेफ, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और अन्य देशों की सरकारें शामिल हैं।
भारत ने 27 मार्च 2014 डब्ल्यूएचओ द्वारा पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र के साथ-साथ पोलियो मुक्त प्रमाण पत्र प्राप्त किया। भारत में पोलियो के आखिरी मामले की रिपोर्ट के बाद से जनवरी 2017 तक पिछले छ: वर्षों में पोलियों के मामले दर्ज नहीं किए गए। देश में पोलियो रोकने को सबसे कठिन माना जाता था, लेकिन पोलियों के मामले दजऱ् न होना, मील का पत्थर हैं, जो कि मज़बूत निगरानी प्रणाली, गहन टीकाकरण अभियान और लक्षित सामाजिक गतिशीलता प्रयासों के महत्व को दर्शाता है, लेकिन जब तक रोग समाप्त नहीं हो जाता, तब तक भारत को सतर्क रहना चाहिए। यही कारण है, कि पूरे देश में राष्ट्रीय प्रतिरक्षण दिवस के अवसर पर बच्चों को टीका लगाया जाता है, ताकि बाल्यावस्था में प्रतिरक्षा के उच्च स्तर को बनाए रखा जा सकें।
जानिए पोलियो के बारे में
पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो) अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो कि मुख्यत:्र छोटे बच्चों (पांच वर्ष से कम आयु) को प्रभावित करता है। विषाणु मुख्यत: मल-मौखिक मार्ग के माध्यम या किसी सामान्य वाहन (उदाहरण के लिए दूषित पानी या भोजन) द्वारा व्यक्ति-से-व्यक्ति में फैलता है, और आंत में दोगुना हो जाता है, वहां से यह तंत्रिका तंत्र में पहुँच जाता है तथा पक्षाघात पैदा करता है।
पोलियो लक्षण
प्रारंभिक लक्षण बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन की अकडऩ और अंगों में दर्द है। दो सौ में से एक संक्रमण अपरिवर्तनीय पक्षाघात (आमतौर पर पैरों में) उत्पन्न करता है। जिन्हें पक्षाघात हो चुका हैं, जब उनकी श्वास की मांसपेशियों को अप्रभावी/ठीक से कार्य नहीं करती हैं तब उनमें से पांच से दस प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है।
कैसे हो रोकथाम
कोई उपचार नहीं है, लेकिन सुरक्षित एवं प्रभावी टीके उपलब्ध हैं। प्रतिरक्षण के माध्यम से पोलियो को रोका जा सकता है। पोलियो का टीका कई बार दिया जाता है। यह हमेशा बच्चे के जीवन की सुरक्षा करता है। पोलियो खत्म करने की रणनीति, जब तक कि रोग का संचारण समाप्त न हो जाएं, तब तक हर बच्चे के टीकाकरण द्वारा संक्रमण रोकने पर आधारित है तथा विश्व पोलियो मुक्त है। संक्रमण रोकने के लिए दो प्रकार के टीकें हैं।
ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन) संस्थागत प्रसव के दौरान इसे जन्म के समय मुख से दिया जाता है, फिर प्राथमिक तीन खुराकों को छह, दस और चौदह सप्ताह और एक बूस्टर खुराक सौलह से चौबीस महीने की आयु में दी जाती है। इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) इसे डीपीटी की तीसरी खुराक के साथ-साथ सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत अतिरिक्त खुराक के रूप में दिया जाता है।
Published on:
05 Aug 2018 03:45 pm
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