
Purushottam Month And Ramazan month together
सागर. ज्येष्ठ अधिमास पुरुषोत्तम माह और रमजान माह के संगम में पूजा और इबादत साथ-साथ हो रही है। शुक्रवार को रमजान के तीसरे जुम्मे पर मिस्जिदों में नमाज अता की गई। वहीं शुक्रवार को ही मंदिरों में ज्येष्ठ अधिमास पुरुषोत्तम माह के तहत भागवत कथा सहित अन्य धार्मिक आयोजन हुए। बड़ा बाजार की गलियों में खास सजावट की गई है, यहां मंदिरों में सुबह से शाम तक भक्तों का तातां लगा रहता है।
अटल बिहारी मंदिर में राधा अटल बिहारी के विवाह की तैयारी चल रही है। भक्तों को कार्ड देकर आमंत्रित किया गया है। मंगलवार को यहां लग्न पत्रिका का लेखन और वाचन किया गया। शनिवार को चौथ पर श्रीगुरु, गौरी और गणेश पूजन होगा।
रविवार पंचमी पर मातृका पूजन एवं मंडपाच्छादन होगा। सोमवार को महिला संगीत और हल्दी होगी। मंगलवार सप्तमी पर शाम ५ बजे बाराज, पणिग्रहण संस्कार और बधाई होगी। मंदिर में पूरे सप्ताह कार्यक्रमों की धूम रहेगी।
भागवत कथा
पुरषोत्तम मास में भूतेश्वर पथ स्थित गुरुधाम, पशुपति नाथ मंदिर में भागवत हुई। पं. मनोज तिवारी ने बताया कि पुरषोत्तम माह भगवान विष्णु और कृष्ण को समर्पित रहता है। इस माह में भगवान की विशेष पूजा और श्रंगार किया जा रहा है। शहर के द्वारकाधीश, राधा वल्लभ, रसिक बिहारी, बांके बिहारी , राध-माधव आदि मंदिरों में आयोजनों का दौर चल रहा है।
भगवान विष्णु का प्रिय माह
पं. शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि पुरुषोत्तम मास भगवान विष्?णु का प्रिय महीना है। इस मास में प्रभु श्रीराम, भगवान कृष्ण और श्रीहरि की उपासना का महत्व है। यह मास भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष फलदायी होता है। शास्त्रों में इस मास के दौरान तमोगुणयुक्त पदार्थों का सेवन करने की सख्त मनाही है।
जुमे पर मस्जिदों में नमाज अता की
सागर. रमजान के तीसरे जुमे पर शुक्रवार को मुस्लिम धर्मावलंबी जामा मस्जिद , पीली कोठी, बड़ी तकिया, घंसु मुंशी मस्जिद शुक्रवारी, अजी मुल्ला खां, मोहम्मदी मस्जिद शनीचरी, कसाब मंडी मस्जिद सहित अन्य मस्जिदों पर नमाज अता करने के लिए पहुंचे। मुफ्ती अबरार ने बताया कि शहर में ४० मस्जिद हैं, जहां बच्चों से लेकर बुजर्ग तक नमाज अता करने के लिए पहुंचे। जुमे का रोजा सबसे अच्छा दिन माना जाता है और इसे त्योहार के रूप में मनाया जाता है। शुक्रवार को १६वां रोजा रहा। सुबह ४.१५ बजे पहली नमाज अता की गई। रोजा सुबह ४ बजे से शाम ७ बजे तक चला।
रमजान में खुलते हैं जन्नत के दरवाजे -मान्यता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जो रोजे रखता है उसे ही जन्नत नसीब होती है। रमजान महीने का पहला अशरा (दस दिन) रहमत का, दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा दोजख से आजादी दिलाने का है। यह महीना प्रेम और अपने ऊपर संयम रखने का मानक है। इसलिए रोजा जरूर रखना चाहिए।
Published on:
02 Jun 2018 05:50 pm
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