
Risk of snake in the rain People in panic
सागर. मानसून की सक्रियता और बरसात के कारण उमस बढऩे के बाद जिले में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ गई हैं। पिछले डेढ़ माह में सर्पदंश की चपेट में आए 15 से ज्यादा पीडि़त जान गवां चुके हैं, जबकि समय पर उपचार मिलने से इतने ही लोगों की जान बचा ली गई।
वहीं बिच्छू या अन्य जहरीले कीड़ों के दंश से मौत के एक-दो मामले ही सामने आए हैं लेकिन इन प्रकरणों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंे डॉक्टर द्वारा सर्पदंश का ही हवाला दिया गया है। शहर के तहसीली, कोरेगांव, सदर, धर्मश्री, सोमनाथपुरम और मकरोनिया क्षेत्र से बारिश शुरू होने के बाद सांप निकलने की घटनाए बढ़ गई हैं। इस अवधि में सर्प विशेषज्ञ द्वारा अब तक 12 से ज्यादा विषैले नाग पकड़े गए हैं, जिनमें पांच कोबरा भी हैं।
सांप-नाग नाम सुनते ही शरीर का रोम-रोम खड़ा हो जाता है और फुफकार अच्छे-अच्छों की हालत बिगाड़ देती है। सागर में मानसून की दस्तक के साथ ही जमीन के अंदर बिलों में रहने वाले सरीसृप बाहर निकलने लगे हैं। विभिन्न इलाकों में रोजाना सांप निकलने की घटनाएं सुनने में आ रही हैं।
मई-जून में 15 सर्पदंश पीडि़तों ने गंवाई जान
बारिश की शुरुआत में जिले में सर्पदंश की घटनाएं एकदम बढ़ गई हैं। अकेले जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में इस अवधि में 30 से ज्यादा लोगों को सर्पदंश की चपेट में आने के बाद उपचार के लिए भर्ती कराया गया जिनमें से 15 से ज्यादा लोगों ने जान गवां दी। शेष करीब 14 लोगों को एंटी स्नैक बीनम से सही समय पर उपचार मिलने से उनकी जान बचा ली गई और कुछ दिनों तक डॉक्टर की देखरेख में भर्ती रखने के बाद उन्हें घर भेजा गया है।
हमारे यहां 80% सांप नहीं होते विषैले
सर्प विशेषज्ञों के अनुसार मप्र और बुंदेलखण्ड अंचल में सांपों की जो प्रजातियां पाई जाती हैं उनमें केवल 20 प्रतिशत ही जहरीली हैं। 80 फीसदी सांपों में एेसा विष नहीं होता कि किसी की मौत नहीं हो सकती, लेकिन सर्पदंश के बाद घबराहट, उच्च रक्तचाप और दहशत ही पीडि़त की जान ले लेती है। अंचल में पाए जाने वाले ब्लैक कोबरा, करैत, रसैल वाइपर आदि सर्प ही विषैले होते हैं। शेष पाए जाने वाले घोड़ा पछाड़, धामन, अजगर, पानी का सांप जानलेवा विषधारी नहीं होते। सागर में विश्वविद्यालय पहाड़ी, राजघाट क्षेत्र, कोरेगांव और सदर अंचल में कोबरा सांप पाया जाता है।
इसलिए डसते हैं सांप
जाने-अनजाने किसी इंसान के पैरों के नीचे कोई सांप आ जाए तो सांप तुरंत ही डस लेता है। यदि कोई सांप के बच्चे को नुकसान पहुंचाता है तो संतान की रक्षा के लिए डस सकता है। जब कोई सांप उन्माद हो जाए तो वह किसी भी इंसान को कभी भी डस सकता है।
यदि कोई सांप भूखा हो तो वह अपनी भूख मिटाने के लिए किसी भी जीव को डस सकता है। सांप को नुकसान पहुंचाने या मारने की कोशिश करने पर बच जाने पर सांप डस सकता है।
घर में हो तो घबराएं नहीं इन्हें बुलाएं
कई लोग घरों में निकलने वाले सर्प से परेशान रहते हैं। सांपों को पकडऩे वाले शहर में कुछ प्रशिक्षित लोग हैं, जो एेसे सांपों को पकड़कर वन विभाग के सुपुर्द कर देते हैं। आप सर्प विशेषज्ञ अकील बाबा को 9977373636 नंबर पर फोन कर बुला सकते हैं।
आपको यदि सांप डसे तो क्या करें
सां प के डंसने पर सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि पीडि़त व्यक्ति उस स्थान पर ब्लैड या किसी अन्य साफ उपकरण से उस पर कट मार ले। इसके साथ ही ब्लड सर्कुलेशन को भी रोकने का भी प्रयास करना चाहिए ताकि हृदय तक जहर न पहुंच सके। इस मौसम में जीव-जंतुओं के मामले में सावधानी बरतने के अलावा सामान्यत: और कोई दूसरा उपाय नहीं होता।
-प्रो. वर्षा शर्मा, जीव विज्ञानी, डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि
कोबरा, करैत, रसैल वाइपर बेहद घातक, जनाब... रहें सावधान
कोबरा: कोबरा (ब्लैक) देशभर में पाया जाता है। बुंदेलखंड में इसकी खासी सक्रियता है। इसी प्रजाति की एक छोटी नागिन भी होती है। वह भी कोबरा जितनी ही खतरनाक और जहरीली होती है। कोबरा १५ से १८ फीट तक हो सकती है। यह एकदम काला होता है लेकिन कुछ परिस्थितियों में इसका रंग भूरा भी पाया जाता है।
करैत: करैत सांप देश भर में पाए जाने वाले जहरीले सांपों में तीसरे नंबर पर है। ऐसा कहा जाता है कि यदि यह किसी को डस ले तो वह व्यक्ति तुरंत उपचार न मिलने की स्थिति में मौत का शिकार हो जाता है। प्रदेश में यह अच्छी खासी संख्या में पाया जाता है। करैत सांप अन्य जहरीले सांपों के मुकाबले पतला होता है।
रसैल वाइपर: दुनिया के सबसे खरतनाक सांपों में चौथे नंबर है। यह भी भारत समेत बुंदेलखंड में पाया जाता है। यह जब किसी को डंसता है तो खून तक जमने लगता है। मादा सांप अंडे के बजाय सीधे बच्चे देती है। आमतौर पर यह किसी को ऐसे नहीं डसता है क्योंकि एक बार प्रहार करने पर यह अपनी एक चौथाई शक्ति खो देता है।
अजगर: अजगर सुप्तावस्था में रहते हैं। बारिश के दिनों को छोड़ दिया जाए तो ये गर्मियों के दिनों में शिकार करके बिलों में आराम फरमाते हैं। आपने कभी गौर किया हो तो अजगर सबसे ज्यादा गर्मियों के दिनों में नजर आते हैं। इनका शरीर संवदेनशील होता है ये डसते नहीं है। विषहीन प्रजाति का यह सांप घात लगाकर शिकार करता है।
Published on:
29 Jun 2018 12:41 pm
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