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स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, क्रशर की पथरीली धूल की आगोश में डूबा क्षेत्र

क्रशर चलाते समय पानी का छिड़काव न होने के कारण बनी स्थिति, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने दो माह पहे कारण बताओ नोटिस जारी कर पूरी समझ ली जिम्मेदारी    

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स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, क्रशर की पथरीली धूल की आगोश में डूबा क्षेत्र

स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, क्रशर की पथरीली धूल की आगोश में डूबा क्षेत्र

सागर. प्रशासनिक अनदेखियों के चलते क्रशर संचालक नियम/कायदों को भी हवा में उड़ाने में जुटे हैं। क्रशर खदानों में पत्थरों को तोडऩे के दौरान पानी का छिड़काव न करने के कारण हवा के झौंके के साथ आसपास का पूरा क्षेत्र पथरीली धूल की आगोश में डूब जाता है। कागजों में तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त नियम बनाए हैं, लेकिन मैदानी स्तर पर इसका पालन कराने की ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है। दूर-दराज के क्षेत्रों में तो ठीक शहर से निकलकर जैसे ही फोरलेन पर पहुंचेंगे तो यह स्थिति नजर आने लगती है। यहां पर लगे अधिकांश क्रशर संचालक खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। न तो क्रशर चलाते समय पानी का छिडक़ाव किया जा रहा है और न ही विंड ब्रेकिंग वॉल बनाई गई है। इस पथरीली धूल के कारण दमा-अस्थमा सहित अन्य संक्रामक बीमारियां पनपने का खतरा बढ़ जाता है।

नोटिस तक ही सिमट जाती है कार्रवाई
क्रशर संचालकों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर किए जा रहे संचालन की जानकारी खनिज, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी हैं, लेकिन इनकी कार्रवाई केवल नोटिस तक ही सिमट कर रह जाती है। हालही में ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सिरौंजा सहित देवरी क्षेत्र के क्रशर संचालकों को नोटिस जारी किया था, इसके बाद भी व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं की गई हैं। यह स्थिति तब है जबकि क्रशर/खदान संचालकों को संचालन अनुमति देते समय स्पष्ट रूप से पर्यावरणीय नियम के पालन के शपथ पत्र लिए जाते हैं। इनकी धूल से श्रमिकों और आसपास के इलाकों में पडऩे वाले प्रभाव को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी धूल का कंट्रोल हर हाल में करने के नियम बनाए हैं।

क्रशर के लिए यह हैं बोर्ड के नियम
1- क्रशर को तीन ओर से विंड ब्रेकिंग वॉल से घेरना।
2- वाइब्रेटिंग/रोटरी स्कीन को एमएस/जीआइ शीट से कवर्ड करना।
3- जीरो गिट्टी के डस्ट के ट्रांसफार्मर बिंदु पर टेलीस्कोपिक सूट से कवर करना।
4- पत्थर में क्रसिंग के पहले पानी का छिडक़ाव करना।
5- क्रशर के चारों ओर पांच मीटर चौड़ी हरित पट्टी का प्लांटेशन करना।
6- फाइन डस्ट को तार पोलिंग से ढंकना।
7- क्रशर परिसर के अंदर एप्रोच रोड में दिन में चार बार पानी का छिडक़ाव करना।
8- वर्कर को नोस मास्क प्रदान करना।
9- खदान को फेंसिंग कर घेरना।