दरअसल, सऊदी अरब सरकार द्वारा महिलाओं को कार चलाने व स्टेडियम में जाकर फुटबॉल मैच देखने की अनुमति प्रदान करने के बाद अब सऊदी सरकार ने अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए महिलाओं के लिए गार्जियनशिप की परंपरा को खत्म करने की घोषणा की है। सऊदी कॉमर्स इनवेस्टमेंट मिनिस्ट्री ने अपनी वेबसाइट पर महिलाओं के लिए सरकार की ओर से ई-सर्विसेज सुविधा देने की घोषणा भी की है। जिसके बाद अब अरब में महिलाओं को व्यापार करने के लिए गार्जियनशिप (पिता, भाई और पति) की बिना इजाजत के अपना बिजनेस करने और सरकारी पेपर साइन करने का हक प्राप्त होगा।
सऊदी सरकार के निर्णय पर देवबंदी उलेमा ने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को तिजारत करने की कोई मुमानियत (प्रतिबंध) नहीं है। कहा कि पैगंबर मोहम्मद की पत्नी हजरत खदीजा भी तिजारत करती थीं। महिलाएं पर्दे में रहकर व्यापार कर सकती हैं। इस्लाम मजहब में इसकी इजाजत है। वहीं
देवबंद के एक मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने भी कहा कि शरियत में बिना पति की इजाज़त के घर से बाहर निकलने की महिला को इजाज़त नहीं है, क्योंकि शोहर उसकी हर चीज़ की देख रेख का ज़िम्मेदार होता है। जब निकाह होता है तो पति निकाह में वादा करता है इसकी हर चीज़ व देखरेख की ज़िम्मेदारी मैं निभाऊंगा। औरत को की कोई ज़िम्मेदारी नहीं होती। औरत बिना पति के इजाज़त कारोबार तो क्या नफली रोज़ा भी नहीं रख सकती है। बाहर निकलकर कारोबार करना बिना शोहर की इजाज़त के इस्लाम में इसकी इजाज़त नहीं है।
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