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Exclusive: सहारनपुर को फिर जलने से बचाया इंस्पेक्टर के इस वीडियो ने, अब मिलेगा डीजीपी सम्मान

भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष के भाई सचिन की संदिग्ध हालात में मौत के बाद हुआ था हंगामा

सहारनपुरMay 11, 2018 / 02:04 pm

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शिवमणि त्यागी, सहारनपुर। भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया की गोली लगने से हुई मौत के बाद सहारनपुर एक बार फिर से जातीय हिंसा की आग में जलने की कगार पर पहुंच गया था, लेकिन 26 सेकंड के एक वीडियो ने ऐसा होने से बचा लिया। इस वीडियो में दिख रहा है कि रामनगर गांव में कुछ महिलाएं सड़क पर पड़े खून के धब्बों को पानी से साफ कर रही हैं। इसे एलआईयू के इंस्पेक्टर मंसूर अली ने बनाया था, जिसके लिए अब उन्हें डीजीपी सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
देखें वीडियो: इस वीडियो ने बचा लिया सहारनपुर को जातीय हिंसा की आग में जलने से

हत्या की फैली थी अफवाह

दरअसल, घटना के बाद जैसे ही यह अफवाह फैली कि सचिन वालिया की गोली मारकर हत्या कर दी गई है तो दलित समाज में उबाल आ गया। दूसरी ओर महाराणा प्रताप जयंती समारोह चल रहा था, जिसे आनन-फानन में बंद करवा दिया गया। इसको लेकर सहारनपुर में राजनीतिक माहौल पहले से ही गरम था। ऐसे में हालात अचानक बिगड़ने लगे। घटना के बाद दलित समाज के काफी लोगों ने जिला अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। इस कारण पुलिस को प्राथमिक जांच और पूछताछ करने का समय नहीं मिल पाया। दो घंटे से अधिक का समय बीत चुका था, लेकिन सचिन के परिवार वाले या गांव वाले यह तक नहीं बता पा रहे थे कि घटनास्थल कहां पर है और यह किस प्रकार से हुई है?
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एलआईयू के इंस्पेक्टर ने बनाई वीडियो

इनके जवाब जब नहीं मिले तो प्रथमदृष्टया घटना संदिग्ध लगने लगी, लेकिन पुलिस के हाथ सबूत नहीं लग रहे थे। ऐसे माहौल में बिना किसी ठोस सबूत के हत्या के आरोपों को गलत बता दिया जाता तो उबाल और बढ़ सकता था। इस बीच 26 सेकंड का एक वीडियो पुलिस के सामने आ गया। यह वीडियो एलआईयू के इंस्पेक्टर मंसूर अली ने बनाया था। इसके सामने आने के बाद सचिन वालिया की हत्या के लगाए जा रहे आरोपों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया।
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पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

वहीं, लोगों के हंगामे के कारण पुलिस को तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज करना पड़ा। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया लेकिन इसके बाद भी लोगों ने पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया और वे आरोपियों की गिरफ्तारी पर अड़ गए। इस बीच इस 26 सेकंड के वीडियो को भीम आर्मी के लोगों को दिखाया गया, जिसके बाद उन्हें भी घटना संदिग्ध लगने लगी। जब यह बात फैली तो धीरे-धीरे भीड़ कम होने लगी।
वीडियो जब भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष कमल वालिया को दिखाई गई तो उन्होंने भी कदम पीछे खीच लिए। इस तरह देर रात 3 बजे यह परिवार पोस्टमार्टम के लिए राजी हो गया। जब सचिन का शव घर पहुंचा तो वहां पहले से ही सैकडों लोग इकट्ठा थे, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह की कोई हिंसा नहीं की। जिस तरह से यह मामला निपटा और किसी भी तरह की कोई हिंसक घटना नहीं हुई है, उसके पीछे इस वीडियो का बड़ा हाथ माना जा रहा है। यही कारण है कि इंस्पेक्टर मंसूर अली को इस वीडियो के लिए डीजीपी सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। एसएसपी बबलू कुमार ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि इंस्पेक्टर मंसूर अली के नाम की संस्तुति कर दी गई है।
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क्या है इस वीडियो में

26 सेकंड के इस वीडियो में रामनगर गांव में कुछ महिलाएं सड़क को खून के धब्बे धो रही हैं। सड़क पर खून के निशान हैं और इनको पानी से धोया जा रहा है। वीडियो बनाते हुए इंस्पेक्टर पूछते हैं कि आखिर यह खून के धब्बे क्यों साफ़ किए जा रहे हैं तो इसका कोई जवाब नहीं मिलता है और सड़क को साफ कर रही एक महिला घर की ओर दौड़ पड़ती है।
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इंस्पेक्टर को बताया गया- मकान की छत से गिरने से लगी चोट

इंस्पेक्टर मंसूर अली के ही मुताबिक, जिस समय वह गांव में पहुंचे तो सचिन वालिया को कार में घायल हालत में अस्पताल ले जाने के लिए अफरा-तफरी मची हुई थी। जब उन्होंने पूछा कि क्या हो गया तो जवाब में इन्हें बताया गया कि मकान से गिरकर सचिन वालिया को चोट लग गई है। ऐसे में सवाल यह है कि अगर सचिन वालिया को किसी ने गोली मारी है तो खून के धब्बों को धोया क्यों जा रहा था? जब इंस्पेक्टर ने पूछा तो उन्हें यह क्यों बताया गया कि सचिन को गिरने से चोट लग गई है? उधर, एसएसपी का कहना है कि मामला संदिग्ध लगा रहा है। फिलहाल जांच की जा रही है। वहीं, मुरादाबाद से स्पेशल एक्सपर्ट की टीम को बुलाया गया है, जो वैज्ञानिक तरीके से इसकी जांच करेगी।

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