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पैरो में छाले, पेट खाली, सिर पर बोझा, सफर 300 किलोमीटर

पैरों में छाले (Blisters in feet) पड़ गए...भूख-प्यास से प्राण हलक ( Hungary and thirsty ) में आ गए...पैदल चलने से सबके पैर सूज ( Swollen on foot ) गए। यह हाल-बेहाल है उन श्रमिकों को जो ( Labourers on foot ) समस्तीपुर से आजमगढ़ जिले में अपने घरों को जाने के लिए पैदल रवाना हुए थे। करीब ३०० किलोमीटर की दूरी नापने के बाद पुलिस ने मदद की।

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पैरो में छाले, पेट खाली, सिर पर बोझा, सफर 300 किलोमीटर

पैरो में छाले, पेट खाली, सिर पर बोझा, सफर 300 किलोमीटर

समस्तीपुर(बिहार) पैरों में छाले (Blisters in feet) पड़ गए...भूख-प्यास से प्राण हलक ( Hungary and thirsty ) में आ गए...पैदल चलने से सबके पैर सूज ( Swollen on foot ) गए। यह हाल-बेहाल है उन श्रमिकों को जो ( Labourers on foot ) समस्तीपुर से आजमगढ़ जिले में अपने घरों को जाने के लिए पैदल रवाना हुए थे। करीब 300 किलोमीटर की दूरी नापने के बाद जब शरीर ने जवाब दे दिया और एक कदम भी आगे नहीं रखा जा रहा था, तब सभी 28 मजदूरों ने वहीं सड़क के किनारे निढाल होकर लुढ़क गए। आखिरकार जब पुलिस को इसकी सूचना मिली तब पुलिस ने अपने चर्चित रूप से दूसरा ही रूप दिखाया। पुलिस ने इन श्रमिकों के खाने-पीने का इंतजाम ही नहीं किया बल्कि इससे भी आगे बढ़कर उनके घरों तक पहुंचाने के इंतजाम में जुट गई।

इस दर्द की दवा सिर्फ चलना
यह दर्दनाक दास्तान है उन इन सभी मजदूरों की जो लॉक डाउन के बाद समस्तीपुर में फंस गए। श्रमिक यहां उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जिले से मजदूरी करने आए थे। सभी मजदूर वहां गली-मौहल्लों में फेरी लगा कर पेट भरने का काम करते थे। कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉक डाउन होने से श्रमिक समस्तीपुर में ही अटक गए। जैसे-तैसे एक-दो दिन निकाले किन्तु बगैर रुपए-पैसे के आखिर कितने दिन निकालते। आने-जाने के सारे साधन बंद हो गए। सड़कों पर पुलिस का पहरा लग गया। पुलिस किसी भी वाहन को आने-जाने नहीं दे रही। आखिरकार मरता क्या न करता। इन श्रमिकों ने समस्तीपुर से ही आजमगढ़ तक के ३०० किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना शुरु किया।

पुलिस का बदला रूप
इतना लंबा सफर और सिर पर सामान का बोझा ढोते हुए इनके पास जो थोड़ा बहुत खाने-पीने का सामान था, वह भी आधे रास्ते से पहले ही खत्म हो गया। भूखे पेट और थके हुए पैरों के जवाब देने के बाद भी मंजिल तक पहुंचने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। आखिरकार चार दिन में 300 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने के बाद सभी आजमगढ़ की सीमा पर पहुंचे। इसकी सूचना वहां पुलिस को मिली। पुलिस मौके पर पहुंची सभी मजूदर बदहवास हालत में भूख-प्यास से बिलबिलाते हुए मिले। इनकी हालत देखकर कठोर दिखाई देने वाली पुलिस भी पसीज गई। पुलिस ने इन लोगों को खाने-पीने का इंतजाम किया। इसके बाद इनकों इनके गांवों तक छुड़वाने की व्यवस्था में जुट गई।