
Samvad Setu : प्रयागराज की सबसे बड़ी समस्या सीवरेज की समस्या, ऊब गई जनता
प्रयागराज. यूपी ही नहीं पूरे देश में संगम नगरी का बहुत महत्व है। पर इस शहर के लिए सीवरेज की समस्या बहुत बड़ी चुनौती है। सीवरेज जनता के साथ ही प्रशासन के लिए बड़ी समस्या बन गया है। तमाम उपाय के बाद भी हकीकत प्रयागराज का एक खराब पन्ना है। प्रयागराज करीब 12 विधानसभा क्षेत्र आते हैं।
ओडीएफ प्लस प्लस घोषित
प्रयागराज शहर कुछ वर्ष पूर्व ही ओडीएफ प्लस प्लस घोषित हुआ है। स्वच्छता रैंकिंग के स्टार रेटिंग में ग्रेड वन मिला है। पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सीमा विस्तार से पहले शहर की करीब 10 प्रतिशत आबादी बिना सीवेज सिस्टम के रह रही थी। सीमा विस्तार होने के बाद करीब 40 से 50 प्रतिशत आबादी इससे वंचित है। नाले, नालियों में गंदगी बह रही है।
एक दशक में अरबों रुपए खर्च
प्रयागराज के सीवेज सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए करीब एक दशक में अरबों रुपए पानी की तरह बहाए गए । पर अंत वही ढाक के तीन पात की तरह हुआ। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने ज्यादातर स्थानों पर सीवर लाइनों को नाले में जोड़ दिया। इसकी वजह से अक्सर समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। कहीं सीवर लाइन बैक फ्लो होने से घरों में गंदा पानी भर जाता है तो कहीं नाले ओवरफ्लो होने से सड़कों एवं गलियों में गंदगी आ जाती है। सेफ्टिक टैंकों की सफाई के बाद जलकल विभाग के कर्मचारियों द्वारा मल को कछारी क्षेत्रों में बहाया जाता है।
समस्या दूर करने को कुछ तैयारियां
समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन कुछ तैयारियां कर रही है। जिसमें राजापुर एसटीपी की क्षमता 60 से बढ़ाकर 153 एमएलडी और बक्शी बांध एसटीपी की क्षमता 43 से 83 एमएमडी किया जाना है। वहीं नैनी और झूंसी क्षेत्रों में सीवर लाइन बिछाने के लिए सर्वे किया जा रहा है।
प्रयागराज से एक डिप्टी सीएम तो एक मंत्री
प्रयागराज में वैसे तो 12 में आठ सीटें भाजपा के पास हैं। इनमें से दो सीटों के प्रतिनिधि यूपी में सरकार में डिप्टी सीएम और एक मंत्री हैं। पर विकास कार्यों के होने के बाद भी जो शहर की मेल समस्या है उसका निराकरण नहीं हो पा रहा है।
Published on:
14 Dec 2021 07:43 am
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