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भारत पाक 1965 के युद्ध में महज 25 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए थे त्योंधरी के लाल बंसराज सिंह

18 दिन बाद परिवार को मिली थी शहादत की सूचना, सतना के सिंधी कैम्प में रहता है परिवार

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Bansraj Singh was martyred at the age of 25 in the Indo-Pak war 1965

Bansraj Singh was martyred at the age of 25 in the Indo-Pak war 1965

सतना।भारत-पाक 1965 के युद्ध में देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों में सतना के लाल भी शामिल थे। इनमें से एक प्रमुख नाम त्योंधरी निवासी शहीद बंसराज सिंह बघेल का है। शहीद की पत्नी अपने परिवार सहित सिंधी कैम्प िस्थत आर्मी क्वार्टर में रहती हैं। यह 1975 के आसपास तत्कालीन कलेक्टर द्वारा चार शहीदों को दो-दो कमरे का एलाॅट किया गया था। 1965 में शहीद हुए स्व. बंसराज सिंह बघेल के पोते आदर्श प्रताप सिंह ने पत्रिका को बताया कि वो मूलत: रामपुर बाघेलान के समीपी ग्राम त्योंधरी के रहने वाले हैं। दादा महज 25 वर्ष की आयु में शहीद हो गए थे। उस समय दादी की उम्र 22 वर्ष की थी। दादाजी की आर्मी में दो से ढाई साल की ही नौकरी थी। दादाजी की शहादत होने पर परिवार की जिम्मेदारी दादी पर आ गई थी।

जंग छिड़ी तो सीधे सरहद बुलाया
शहीद के पोते ने बताया कि जब भारत-पाक का युद्ध शुरू हुआ तो सबकी छुट्टियां अचानक से रद्द हो गईं थीं। घर से जवानों को अचानक बुला लिया गया था। दादा कुछ दिन पहले ही घर आए थे। उन्हें सीधे सरहद पर बुलाया गया था। वो जाते समय दादी से बोले थे कि सरहद में युद्ध भयंकर तरीके से छिड़ा हुआ है, क्या पता लौट कर आऊं या न आऊं। शहीद के पोते ने आदर्श प्रताप बताते हैं कि दादाजी के युद्ध और शहादत के किस्से दादी से सुनते आए हैं। दादी बताती हैं कि 1965 के युद्ध में हजारों सैनिक शहीद हुए थे। इसलिए उस समय 18 दिन बाद तार मिला था। भयंकर लड़ाई के बीच जब सरहद पर कई दिनों तक शव बाहर नहीं आए तो वहीं पर सेना ने अंतिम संस्कार कर दिया गया था। उस दौरान कलेक्टर एक हजार रुपए की सहायता दिए थे। बाद में बड़े दादा जो खुद आर्मी में थे, वे दादा के शव की तलाश में जम्मू और कश्मीर गए तो सिर्फ सेना प्रशासन ने कपड़े दिए थे।