
FIR on the responsibilities of selling foodgrains in Vindhya in a fake way
सतना। मप्र के सतना जिले में किसानों का मुखौटा पहनकर समर्थन मूल्य पर पंजीयन और अनाज की बिक्री करने वाले सतना मंडी के लाइसेंसधारी गल्ला व्यापारियों, समिति प्रबंधक, कम्प्यूटर ऑपरेटर समेत सात लोगों के खिलाफ मंगलवार की रात सिंहपुर थाना में एफआईआर दर्ज की गई।
कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी पियूष शुक्ला द्वारा समर्थन मूल्य पर सैकड़ों क्विंटल अनाज खपाने वाले व्यापारियों द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों के आधार पर समिति प्रबंधक राजेंद्र सिंह पिता स्व. रामविशाल सिंह, कम्प्यूटर ऑपरेटर राजेंंद्र सिंह पिता सुंदरलाल सिंह, व्यापारी सभाराज गुप्ता, आशा देवी गुप्ता, ऋतुराज गुप्ता, राजकिशोर गुप्ता, संध्या गुप्ता के खिलाफ भादंस 1860 की धारा 272, 273, 418, 420, 120, 34 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
पत्रिका ने मंडी के लाइसेंसधारी व्यापारियों द्वारा समर्थन मूल्य पर उपज विक्रय करने के मामले को प्रमुखता के साथ उठाया था। इसके बाद अधिकारी हरकत में आए और दोषी पर अपराध दर्ज हुआ। कृषि उपज मंडी के 3 लाइसेंसधारी गल्ला कारोबारियों ने हजारों क्विंटल अनाज का समर्थन मूल्य पर विक्रय करने के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीयन करा लिया।
भनक भी प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं लगी। मंडी के लाइसेंसधारी फर्म नैतिक ट्रेडर्स के प्रोपराइटर राजकिशोर गुप्ता ने 34 एकड़ के पंजीयन में 426 क्विंटल, ऋतुराज ट्रेडर्स के सभाराज गुप्ता ने 68 एकड़ भूमि के पंजीयन में 1036 क्विंटल, लक्ष्मणशक्ति ट्रेडिंग कंपनी के संतोष गुप्ता ने 28 एकड़ में 515 क्विंटल का पंजीयन कराया था।
सरकार को साढ़े 14 लाख की चपत
मंडी में लाखों का कारोबार करने वाले लाइसेंसधारी कारोबारियों ने किसान का नकाब पहनकर सरकार को लाखों की चपत लगाने का काम किया है। समिति प्रबंधक व ऑपरेटर की मिलीभगत से दूसरे किसान की भूमि का फर्जी तरीके से 3 लाइसेंसधारी गल्ला कारोबारियों ने 1978 क्विंटल अनाज बेचने का पंजीयन कराया था।
इन व्यापारियों ने साठगांठ से 757 क्विंटल उपज का विक्रय कर सरकारी खजाने से 14 लाख 58 हजार 187 रुपए की चोट भी पहुंचा दी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ किन हाथों तक पहुंच रहा है।
42 किसानों का दर्शाया गया था सिकमी
सेवा सहकारी समिति धौरहरा व सेवा सहकारी समिति बगहा में मंडी के 3 गल्ला कारोबारियों ने स्वयं व परिवारजनों समेत 8 लोगों के नाम पंजीयन कराया था। इनमें से तीन लोगों के दस्तावेजों में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं मिली, लेकिन 5 के पंजीयन फर्जी दस्तावेज के आधार पर किए जाने की पुष्टि हुई।
जांच के दौरान यह सामने आया कि इन व्यापारियों ने 40 किसानों की भूमि का सिकमी कराया था, जो पूरी तरह से फर्जी था। क्योंकि इसकी जानकारी उन किसानों को भी नहीं थी जिनकी आराजियों में पंजीयन किया गया था। किसानों ने तहसीलदार कोठी के समक्ष अपने अभिकथन भी दर्ज कराए थे।
रैगांव और 15 समिति प्रबंधकों तक जांच की आंच कब
जिला प्रशासन की गंभीरता के चलते उपार्जन केंद्रों तक किसान बनकर पहुंचने वाले व्यापारियों और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर पंजीयन करने वाले समिति कर्मचारियों पर मंगलवार की देररात अपराध दर्ज हो गया। उधर, सेवा सहकारी समिति रैगांव में मजदूर के पत्नी के नाम 844 क्विंटल पंजीयन के मामले में प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हैं।
इसी तरह 462 एकड़ भूमि का सिकमी पंजीयन कराकर सरकार को करोड़ों की चपत देने वाले समिति प्रबंधकों तक जांच की आंच नहीं पहुंच पा रही, जबकि कलेक्टर अजय कटेसरिया ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की है।
Published on:
03 Jun 2020 06:08 pm
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