। व्यंकटेश मंदिर तालाब शहर के प्राचीन तालाबों में से एक है। कभी इसका भी सौंदर्याीकरण किया गया था। चारों ओर जाली लगाकर पानी और आने वालों को सुरक्षित किया गया था। आकर्षण के लिए कुछ बदख भी छोड़ी गईं थीं। लेकिन, तालाब आज बदहाल है। गंदगी से पटा और पानी के लिए तरस रहा है।
दरअसल, मंदिर के स्थापना के समय ही प्रांगण में तालाब बनाया गया था। श्रद्धालु हाथ-पंाव धोने और आचमन के बाद मंदिर जाते थे। परिसर बच्चों के खेलने के लिए उपयुक्त स्थान रहा है। अब यहां कम ही लोग जाते हैं। स्थिति बदल चुकी है। तलहटी में बचा गंदा पानी उपयोग के लायक नहीं है। यदाकदा आवारा मवेशी उतर जाते हैं। सालों से न तो गहरीकरण हुआ न सफाई। गर्मी आते-आते पानी सूख जाता है। गंदगी कीचड़ में बदल जाती है।
यह तालाब है, डस्टबिन नहीं
शहरी नागरिकों से अपील की है कि, प्लास्टिक, दोने, पत्तल अन्य कचरा तालाब में न फेंके। उसे डस्टबीन न समझें। समझ और सहयोग से उसे सुंदर तालाबों में एक बनाया जा सकता है।
लौटा दो 'हमारी
' खूबसूरती
प्रबुद्ध वर्ग के मुताबिक, जनभागीदारी और सामूहिक श्रमदान से तालाब की रौनक लौटाई जा सकती है। उसे नए सिरे से संवारा जा सकता है। तालाब की खूबसूरती लौटाई जा सकती है। जनभावनाओं को समझते हुए पत्रिका ने 'अमृतम् जलम्Ó अभियान के तहत तालाब को पुनर्जीवन देने के लिए श्रमदान की पहल की है। आह्वान किया है कि, इस पुण्य कार्य में सहयोग दें। ताकि, बारिश पूर्व तालाब जल संग्रहण के लायक बन सके।