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GST से नहीं पोर्टल से है परेशानी, पहला वर्ष समझने और समझाने में बीता

GST से नहीं पोर्टल से है परेशानी, पहला वर्ष समझने और समझाने में बीता

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Survey on GST implementation on it's 1st Anniversary

Survey on GST implementation on it's 1st Anniversary

सतना। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) ने भले ही केन्द्र सरकार का खजाना भर दिया हो लेकिन टैक्स चुकाने वाले व्यापारी तंग ही रहे है। एक जुलाई 2018 को नई कर व्यवस्था के एक साल पूरे हो रहे है। इन 365 दिनों में पोर्टल और सर्वर से करदाता परेशान रहे। सतना कैट के जिला अध्यक्ष अशोक दौलतानी ने बताया कि बाजार में 4 हजार व्यापारी पंजीकृत है।

व्यापारियों को जीएसटी से नहीं बल्कि पोर्टल से परेशानी है। पूरा साल समझने और समझाने में बीत गया है फिर भी व्यापारियों को कोई खास राहत नहीं मिली है। जीएसटी तो कहने में सरल है पर टेडीमेडी जलेबी की तरह है। जिधर जाओ समस्याओं को अंबार लगा हुआ है। इन फोसेसे कंपनी द्वारा 14 सौ करोड़ की लागत से जीएसटी पोर्टल बनाया गया था। जो वर्षभर व्यापारियों को रुलाता रहा है।

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ज्यादातर व्यापारी नाखुश
यही नहीं टैक्स की जानकारी, स्पष्टीकरण या दूसरी चीजों के लिए दो सैकड़ा से अधिक नोटिफिकेशन भी पोर्टल पर आने से उन्हें परेशानियां उठानी पड़ी है। इसलिए जीएसटी रिटर्न या टैक्स जमा करने के लिए व्यापारी या उद्योगपति खुद कम कर सलाहकार और चार्टड अकाउंटेंट पर ज्यादा निर्भर हैं। पोर्टल में उलझे व्यापारी केंद्र सरकार के इस कदम से अभी भी नाखुश दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को कारोबारियों की यह नाराजगी महंगी पड़ सकती है।

विदेशी समान लेने में आ रही परेशानी
व्यापारियों की सहजता के लिए वाणिज्य विभाग जीएसटी, एसटी जीएसटी का कार्यालय सतना में स्थापित है लेकिन विदेश से मगांने वाले समान के लिए केन्द्रीय विभाग का आईजीएसटी कार्यालय अभी तक नहीं बनाया गया है। इस कारण एक साल से विदेशी समान व्यापारियों को नहीं मिल रहा है। कार्यालय खुलने से जहां व्यापारियों की आसानी से समान मिल जाएगा वहीं सरकार की आय भी बढ़ेगी। इसकी मांग कैट द्वारा कई बार की जा चुकी है।

उल्टा पड़ रहा यह दांव
शहर में सेन्ट्रल जीएसटी और स्टेट जीएसटी दोनों के कार्यालय हैं। दोनों की करदाताओं की संख्या करीब 4 हजार है। यदि दोनों के कार्यक्षेत्र में राजस्व की बात करें तो वह 1 हजार करोड़ से ज्यादा का होगा। ऐसे में भी व्यापारियों और उद्योगपतियों को ज्यादा राहत नहीं मिली। एक जुलाई 2017 को जब जीएसटी लागू हुआ तब ऐसा माना जा रहा है कि यह सरल कर प्रणाली होगी। लेकिन यह उतनी सरल नहीं थी। शुरूआती महीनों में तो सर्वर डाउन और पोर्टल के काम नहीं करने की शिकायत प्राय: हर व्यापारी कर रहा था। यह सिलसिला मई तक चला। इस तकनीकी गड़बड़ी के कारण जीएसटीआर 3बी के रिटर्न की तिथि को 20 मई से बढ़ाकर 22 मई करना पड़ा था। ऐसे में पेनल्टी व लेट फीस देनी पड़ी।