सरकारी विद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार पर सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके बावजूद हर बार परिणामों में सुधार की पोल खुल जाती है। इन परिणामों में कई सरकारी विद्यालयों का परीक्षा परिणाम कमजोर रहा। जहां निजी विद्यालयों का परीक्षा परिणाम 80 फीसदी उपर रहा है। वहीं कई सरकारी विद्यालय 50 फीसदी तक भी नहीं पहुंच पाए हैं।
इस बार बोर्ड द्वारा उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम देने वाले विद्यार्थियों की मैरिट सूची जारी नहीं किए जाने से विद्यालय संचालकों व विद्यार्थियों में मायूसी है। परीक्षा परिणाम को लेकर उत्साह जनक माहौल नजर नहीं आया। विद्यार्थियों का कहना है कि मैरिट के आधार पर स्कूलों के शैक्षणिक स्तर का भी आकलन होता है।
करेंगे सुधार के प्रयास… सरकारी व निजी स्कूलों का परीक्षा परिणाम अलग से नहीं दिया है। इस कारण अभी तक आंकलन नहीं हो पाया है। कि सरकारी विद्यालयों की उपलब्धि क्या रही। जिन विद्यालयों का परीक्षा परिणाम कम रहा है। उनमें सुधार किया जाएगा।
अशोक शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, सवाईमाधोपुर।