इसलिए मिला पहला स्थान
दरअसल, जिस कोरोना वायरस से आज पूरी दुनिया के वैज्ञानिक जूझ रहे हें उसे रोकने के लिए आठवीं ग्रेड की छात्रा अनिका ने कोरोना के लिए संभावित प्रभावी ड्रग की खोज करने के लिए इन-सिलिको (In-Silico) पद्धति का उपयोग किया। ताकि वे एक ऐसे अणु (मॉलीक्यूल) की खोज कर सकें जो सार्स-सीओवी-2 (sars-cov-2) के स्पाइक प्रोटीन (spike protien) को चुन-चुनकर निष्क्रिय कर सके। इस प्रमुख यौगिक को खोजने के उनके सराहनीय प्रयासों के लिए, जो कोरोनावायरस बीमारी के प्रभावी उपचार की एक कारगर दवा हो सकती है, अनिका को इस सम्मान से नवाजा गया है जिसके साथ उन्हें 25 हजार डॉॅलर की पुरस्कार राशि भी मिली है।
10 में से 7 फाइनलिस्ट भारतीय
इस प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर भी एक और भारतीय छात्र ओहियो निवासी 12 वर्षीय लास्य आचार्य थे। सातवीं ग्रेड के छात्र लास्य ने ऐसी तकनीक विकसित की है जो किसानों को रोगग्रस्त और खराब फसलों का पता लगाने में सक्षम बनाएगी। इससे फसल की कटाई के दौरान खाद्य अपव्यय को कम किया जा सकेगा। हैरानी की बात यह रही कि इस साल के टॉप 10 फाइनलिस्ट्स में से 7 भारतीय मूल के ही छात्र-छात्राएं थे।