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दवा लेना भूले तो डिजिटल पिल याद दिला देगी

locationजयपुरPublished: Feb 02, 2019 02:43:50 pm

Submitted by:

manish singh

कड़वी दवा और मोटी-मोटी गोलियां अच्छे से अच्छे इंसान की हिम्मत हिला देती हैं। इसी कारण कुछ मरीज सबकुछ जानते हुए भी दवा खाने से परहेज करते हैं। ऐसे ही मरीजों के लिए डिजिटल पिल का ट्रायल शुरू हुआ है। मरीज जो दवा खाने से परहेज करते हैं उनकी निगरानी के लिए डॉक्टरों ने बनाई तकनीक

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दवा लेना भूले तो डिजिटल पिल याद दिला देगी

किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा मरीज जब इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी पाकर घर जाता है तो वह ये वादा नहीं करता है कि समय पर सभी दवाएं लेगा। अमरीका के यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के मैसॉनिक कैंसर क्लिनिक के निदेशक प्रो. एडवर्ड ग्रीनो इलाज में इसे सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं। वे कहते हैं कुछ मरीज दवा खाने के नाम पर बच्चों जैसा व्यवहार करते हैं। वह भी तब जब उन्हें पता रहता है कि उनकी ये लापरवाही सेहत पर भारी पड़ेगी। इसी समस्या के निदान के लिए अपनी टीम के साथ उन्होंने एक ऐसी गोली (डिजिटल पिल) बनाने का फैसला किया जिसमें छोटा सेंसर लगा होगा। ये सेंसर दवा के साथ पेट में जाएगा तो पेट के ऊपरी हिस्से पर लगे एक पैच को सिग्नल मिलेगा। पैच मोबाइल ऐप से जुड़ा होगा जिससे डॉक्टर व मरीज दवा खाने की पूरी हिस्ट्री जान सकते हैं। डॉक्टर आसानी से जान सकेंगे कि मरीज ने किस समय दवा ली और उसे कब दवा लेनी थी। डिजिटल पिल में लगा सेंसर अनाज के दाने के बराबर होगा जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में आसानी से घुल जाएगा और इससे मरीज को कोई नुकसान भी नहीं होगा।

मरीज पर रहेगी डॉक्टरों की नजर

डिजिटल पिल सेंसर से इलाज करने वाले डॉक्टर मरीज की सेहत पर नजर रख सकते हैं। इससे मरीज की हृदयगति, फिजिकल एक्टिविटी, मरीज कितने घंटे सोया इसका रेकॉर्ड ऐप में रहेगा। मैसॉनिक कैंसर क्लिनिक ने कोलोरेक्टल कैंसर से पीडि़त मरीजों पर पायलट प्रोग्राम के तहत डिजिटल पिल का ट्रायल शुरू किया है जिसका प्रयोग स्टेज 3 और 4 के मरीजों में किया जा रहा है। ये सेंसर कैलिफोर्निया की एक डिजिटल हैल्थ कंपनी ने तैयार किया है।

समय पर दवा नहीं ली तो फोन पर आएगा अलर्ट

प्रो. ग्रीनो एक मरीज के बारे में बात करते हुए बताते हैं कि मरीज को हाथ में चोट लगी थी। इस वजह से वे दवा की बोतल खोल नहीं सकते थे और उस दिन उनकी बेटी भी घर पर नहीं थी जो उन्हें दवा दे सके। ऐसा उनके साथ कई बार हो चुका था जिसका असर इलाज और उनकी रिकवरी पर पड़ रहा था। तकनीक की मदद से मैं उनकी निगरानी खुद करने लगा और इमरजेंसी नंबर पर फोन कर उन्हें समय पर दवा खिलवाई थी। इसी तरह कीमोथैरेपी करवा रहीं एक 45 वर्षीय महिला कभी-कभी दवा लेना भूल जाती थीं। डिजिटल पिल शुरू होने के बाद सुबह आठ बजे इनके स्मार्ट-फोन पर अलर्ट मैसेज आ जाता था कि आपका सुबह आठ बजे का डाटा हमें नहीं मिला है जो बहुत जरूरी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत डिजिटल पिल का इस्तेमाल कर रहे मरीजों का कहना है कि डॉक्टरों को उनके स्वास्थ्य की व्यक्तिगत जानकारी भी मिल रही है पर इसकी चिंता उन्हें नहीं है।

भारत में भी दवा खाने को लेकर आनाकानी

भारत में भी समय पर दवा न खाने वालों की संख्या अधिक है। एक सर्वे में 100 में से 28 लोगों ने कहा था कि वे हफ्ते में एक बार समय पर दवा लेना भूल जाते हैं, जबकि दो लोगों ने ये तक कहा कि वे दवा नहीं लेते हैं पर डॉक्टर को बता देते हैं कि सभी दवाएं समय पर ली हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार इलाज में दवाओं पर सबसे अधिक 52 फीसदी रकम खर्च होती है।

दवाओं पर खर्च होने वाली रकम भी कम होगी

अमरीकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने 2017 में डिजिटल पिल (इंजेस्टिबल टेक्नोलॉजी) को अनुमति दी थी। अमरीकी संस्था नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉरमेशन का मानना है कि इससे दवाओं पर खर्च होने वाले बजट में कमी आएगी। हालांकि साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट जेसन क्रिस्टोफर कहते हैं कि अगर हैकर हेल्थ डेटा खराब कर दें तब डॉक्टर क्या करेंगे?

रिपोर्ट: पीटर हॉली, टेक्नोलॉजी रिपोर्टर, वाशिंगटन पोस्ट विशेष से अनुबंध के तहत

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