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मलेरिया पर बनने वाली दवाईयां हुई फेल,शोध में बताई ये बड़ी वजह

कुछ क्षेत्रों में 80 प्रतिशत मलेरिया परजीवी ड्रग रेजिस्टेंट बन चुके हैं।मलेरिया के लिए दी जाने वाली आर्टिमीसिनिन और पिपेरैक्विन दवाइयां फेल हो रही हैं।

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Deepika Sharma

Jul 24, 2019

maleria

नई दिल्ली। हर साल मलेरियाmalaria से होने वाली मौतों की संख्या लाखों में है। मीडिया रिपोर्टmedia report के मुताबिक, मलेरिया लगातार खतरनाक रूप धारण करता जा रहा है। इसके लिए दक्षिण-पूर्व एशिया में करीब 80 प्रतिशत मलेरिया के परजीवी को खत्म करने के लिए प्रतिरोधी दवाएं विकसित की गई थीं, जो मलेरिया से ग्रसित मरिजों को दी गई थीं। इनमें से आधे मरीजों पर आर्टिमीसिनिन और पिपेरैक्विन दवाइयां ( Artimicinin and Pipariquin medicines ) फेल रहीं।


दरअसल, ये बीमारी कंबोडिया (Cambodia ) से लाओस और थाइलैंड ( Thailand ) से वियतनाम ( Vietnam ) में फैल रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मलेरिया फैलाने मेें सबसे खतरनाक परजीवी प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum ) है। यह परजीवी मलेरिया के कारण होने वाली 10 में से 9 मौतों के लिए जिम्मेदार होता है। हैरानी वाली बात यह है कि इस बीमारी को ठीक करने के लिए बनाई जाने वाली दवा को ही स्वाथ्य के लिए खतरनाक माना जा रहा है।

क्या होता है ड्रग रजिस्टेंट
ड्रग रजिस्टेंट का मतलब उन दवाओं से हैं जो किसी बीमारी या स्थिति के उपचार में दवा के प्रभाव को कम कर देता है। जिसका प्रयोग प्रतिरोध के संदर्भ में किया जाता है। रिपोर्ट में ऐसा बताया जा रहा है कि डॉक्टरों को मलेरिया के इलाज के लिए इन दवाइयों के अलावा मरीजों को अन्य ड्रग्स भी देने पड़ रहे हैं। लेकिन फिर भी इस बीमारी को बेअसर करने वाली दवा का कोई भी असर नहीं हो रहा है। व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं को सतत रूप से चुनना मल्टीरेजिस्टेंस का महत्त्वपूर्ण कारक है।

एक स्टडी के मुताबिक, ड्रग रेज़िस्टेंट बन चुका प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम अन्य स्थानीय मलेरिया परजीवियों को रिप्लेस कर रहा है, जिस वजह से यह इलाज की प्रक्रिया को जटिल बना रहा है। अब सवाल यह उठता है कि क्या इलाज संभव नहीं होगा? जर्नल में प्रकाशित दूसरी स्टडी में यह साफ किया गया कि ड्रग रेज़िस्टेंट होने के बाद भी मलेरिया का इलाज संभव है। ऐसे में मलेरिया पीड़ित मरीज को आर्टिमीसिनिन और पिपेरैक्विन के अलावा अन्य दवा भी देनी पड़ेगी।


परजीवी की इस क्वॉलिटी को डेवलप करने की क्षमता को देखते हुए जल्द ही मलेरिया की दवाइयों के साथ-साथ इलाज के तरीकों में भी बदलाव लाने की जरूरत होगी। एक्सपर्ट्स की मानें तो सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि यह परजीवी नई परिस्थितियों में भी खुद को ढालने में सक्षम है।