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600 किमी सिस्मिक गैप से बढ़ा भूकंप का खतरा, हिमालय के नीचे हलचल भी दे रही खतरे के संकेत

Research On Earthquake : एक स्टडी के मुताबिक साल 1315 और 1440 के बीच भारत के भाटपुर से लेकर नेपाल के मोहाना खोला तक एक विशालकाय गैप बन गया था पिछले कुछ साल से ये गैप बिल्कुल शांत है,लेकिन इस पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है

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Research On Earthquake

नई दिल्ली। देश की राजधानी और उसके आसपास के इलाके में पिछले दो महीने में करीब 7 भूकंप आ चुके हैं। ऐसे में वैज्ञानिक इस खोज में जुट गए हैं कि आखिर यहां बार-बार झटके (Jolts) क्यों आ रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू सेंटर ऑफ एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च में प्रोफेसर सीपी राजेंद्रन के अनुसार ये छोटे झटके ब़ड़े (Big Earthquake) खतरे की निशानी है। भविष्य में यहां 8.5 तीव्रता तक के भूकंप आ सकता है। भारत के भाटपुर से लेकर नेपाल के मोहाना खोला तक 600 किलोमीटर लंबी सिस्मिक गैप (Seismic Gap) बड़े खतरे का कारण बन सकता है।

एक इंटरव्यू में प्रोफेसर सीपी राजेंद्रन ने बताया कि उन्होंने 2018 में एक स्टडी की थी। जिसमें पता चला कि साल 1315 और 1440 के बीच भारत के भाटपुर से लेकर नेपाल के मोहाना खोला तक 600 किलोमीटर लंबी सिस्मिक गैप बन गई थी। यह एक सक्रिय भूकंपीय फॉल्ट है। हालांकि कई साल से इसमें कोई हलचल नहीं दिखती है। तब से ये गैप शांत है, लेकिन इस पर लगातार भूकंपीय दबाव बन रहा है। ऐसे में जिस दिन दबाव का प्रेशर बढ़ जाएगा उस दिन भयंकर तबाही वाला भूकंप आ सकता है।

सिस्मिक गैप से जुड़े है दिल्ली-एनसीआर के फॉल्ट
प्रोफेसर ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर के नीचे 100 से ज्यादा लंबी और गहरी फॉल्ट्स हैं। इनमें से कुछ दिल्ली-हरिद्वार रिज, दिल्ली-सरगोधा रिज और ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट पर हैं। खास बात यह है कि इनके साथ कई अन्य सक्रिय फॉल्ट्स इस सिस्मिक गैप से जुड़े हुए हैं, इसलिए यहां तबाही का खतरा ज्यादा है।

हिमालय से भी है कनेक्शन
दिल्ली-एनसीआर में मौजूद सारे फॉल्ट्स हिमालय के टेक्टोनिक प्लेट से भी सटे हुए हैं। ऐसे में हिमालय के टेक्टोनिक प्लेट (Tectonic Plates) में होने वाले बदलावों की वजह से यहां झटके लगते रहते हैं। हिमालय के नीचे लगातार हो रही हलचल से धरती पर दबाव बढ़ता है। इससे भूकंप आते हैं। 29 मई को रोहतक में आया 4.6 तीव्रता का भूकंप इसी के कारण आया था।