
सीहोर से भी जुड़ा है तरूण सागर महाराज का किस्सा, जो आज भी लोगों के दिल और दिमाग में बसा
सीहोर। जैन संत से राष्ट्रीय संत की गौरव गाथा रचने वाले कड़वे प्रवचन के धनी मुनि तरुण सागर जी महाराज का एक माह का प्रवास आज भी 24 साल 8 माह 10 दिन बाद भी लोगों के दिल दिमाग में बसा हुआ है, आचार्य तरुण सागर महाराज पुष्पगिरी से होते हुए 20 दिसम्बर 1993 को सीहोर पधारे थे, करीब एक माह तक आप सीहोर रहे। तब पहली बार किसी जैन संत द्वारा मंदिर की जगह सार्वजनिक स्थल पर प्रवचन दिए। जाने की बात कही गई तब जिला मुख्यालय पर बड़ा बाजार में दोपहर के समय मुनि तरुण सागर के प्रवचन हुए थे। तरूण सागर महाराज के साथ मुनि प्रज्ञा सागर भी सीहोर पधारे थे।
मुनि श्री तरुण सागर जी महाराज के देवलोकगमन होने के समाचार ने आज न केवल जैन समाज के बल्कि हर उस इंसान को हिला कर रख दिया। जो शहर में पहली बार सार्वजनिक स्थल पर हुए प्रवचन कार्यक्रम होने से अन्य समाज के लोग जुड़ गए थे। मुनि श्री की वाणी सुनकर रास्ते से जाने वाले लोग आगे बढऩे का साहस भी जुटा नहीं पाते थे। जो जहां रहता था वहीं ठहर सा जाता था। उनकी वाणी से सत्य के दर्शन पर लोग मंत्र मुग्ध हो जाते थे। प्रतिदिन नए नए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाकर समाज को एक करने का संदेश प्रचारित प्रसारित उनके मार्गदर्शन में किया गया। सीहोर में पहली बार जैन संत द्वारा पत्रकारों से चर्चा की जाकर उनकी दिनचर्या और लेखन तरीके को जानकर उन्हें ज्ञान से भरी पुस्तकें भेंट की गई।
मुनि श्री द्वारा जब प्रतिदिन एक बुराई छोडऩे का संकल्प कराया जाता था तब पूर्व विधायक शंकर लाल साबू सहित अन्य कई पत्रकारों ने बुराई छोडऩे का संकल्प लिया, तत्कालीन जैन समाज के अध्यक्ष संतोष कुमार जैन के पुत्र वीरेन्द्र जैन ने अपने घर पर चौके के लिए आने के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि मुनि श्री के आगमन पर जब तरुण सागर जी की जय लगाने का आव्हान करता था। तब मुनिश्री ने कहा मेरे आगे चलकर मुझसे मेरी ही जय क्यों लगवाते हो बालक? समाज के देवचंद जैन ने बताया कि सीहोर का जैन समाज वास्तव में मुनि श्री तरुण सागर जी महाराज के आगमन के बाद ही जागृत हुआ।
उसके बाद ही कार्यक्रमों का सिलसिला चला सीहोर समाज में चेतना का सही मायने में उनके द्वारा ही दीप प्रज्जवलन किया गया था। व्यवसायी पंकज जैन ने कहा कि उसके बाद मुनि श्री सीहोर कभी नहीं आए। लेकिन उनके प्रवचन आज भी कानों में गूंजते है। स्थानीय बड़ा बाजार में ही आयोजित कवि सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार नारायण कासट द्वारा किया गया जिसमें जिले के वरिष्ठ गीतकार मोहन राय, श्रीकृष्ण हरि पचौरी के साथ साथ उभरती प्रतिभा अर्चना अंजुम द्वारा भी काव्य पाठ किया गया था। अपने एक माह के प्रवास के दौरान मुनि श्री ने कई जैन परिवारों के घरों पर पहुंच कर आहार ग्रहण किया, आज उनके देवलोकगमन पर जैन समाज ही नहीं बल्कि शहर वासियों की आंखें भी नम देखी गई। सभी का कहना था कि मुनि श्री सदा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे।
Published on:
02 Sept 2018 10:06 am
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