
Holi 2025 Unique Tradition in Seoni Villages holi celebration
Holi 2025 Unique Tradition: होली के रंग में जिला डूबने लगा है। एक ओर जहां जिले भर में शुक्रवार को लोगों ने एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली का पर्व मनाया, वहीं इसके ठीक विपरीत केवलारी के ग्राम पंचायत पांजरा में इस दिन कोई भी रंग-गुलाल नहीं खेला गया। बल्कि हर वर्ष धुलंडी के दिन मेघनाद मेले का आयोजन किया जाता है। जहां 60 फीट ऊंचाई के एक खम्भे पर वीर यानि मन्नत मांगने वाले लोगों को झूलते देखा गया। रोमांच से भरे इस मेले में दर्जनों गांव और शहरी क्षेत्र से लोग बड़ी संख्या में पहुंचे।
रंगों के त्योहार को इस तरह मनाने की यह अनोखी परंपरा आदिवासी सभ्यता से जुड़ी हुई है। मन्नतें पूरी होने के बाद आदिवासी वीर मेघनाद मेले में गाजे-बाजे के साथ झूमते-नाचते यहां पहुंचते हैं। भाव में डूबे वीर हकड़े बिर-रे, ओ-ओ-ओ कहते हुए आते हैं। यहां पहुंचकर अपनी-अपनी मन्नत के अनुसार कोई वीर 60 फीट ऊंचे मेघनाद में चढक़र उलटे होकर झूलता है, तो कोई नीचे से ही मेघनाद को भेंट कर पूजा-पाठ करता है।
इस अनोखी परम्परा की मान्यता है कि जिनकी मन्नतें पूरी होती हैं, ऐसे वीर 60 फीट ऊंचे मेघनाद की मचान पर चढ़कर उल्टे होकर घूमते हैं। चक्कर पूरे होने पर वीर ऊपर से नीचे की ओर नारियल फेंकते हैं। वीर का इससे भार उतर जाता है। संतान प्राप्ति, विवाह, बीमारी सहित किसी भी परेशानी का निदान की कामना से मेघनाद की पूजा ही होती है। मन्नत पूरी होने पर वीर फड़ेरा बाबा की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है।
धुलंडी के दिन जहां लोग रंग-गुलाल से बचने के लिए पुराने वस्त्र पहनते हैं। वहीं पांजरा गांव और उसके आसपास के करीब एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग स्वच्छ और नए वस्त्र पहनकर मेघनाद मेले में आते हैं। मेले में जमकर खरीदारी होती है। किसान कृषि सामग्री, गृहणी अपने लिए घरेलू व श्रृंगार की सामग्रियां खरीदती हैं तो, वहीं बच्चे कोई आइसक्रीम तो कोई झूले का आनंद लेता नजर आता है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रशासन भी मौजूद रहता है।
गांव में धुलंडी के अगले दिन गांव के लोग मिल-जुलकर रंग-गुलाल खेलते हैं। यानी यहां आज ही होली मनाई जा रही है।
Updated on:
15 Mar 2025 10:40 am
Published on:
15 Mar 2025 10:33 am
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