हो सकता है हादसा-
454 ऐसे प्राथमिक, माध्यमिक स्कूल भवन हैं जिनमें सुधार कार्य होना जरूरी है। बिना सुधार स्कूल भवनों में यदि कक्षाएं लगाई गई तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
शासन के निर्देशों का पालन करना जरूरी
जिले के कुरई, घंसौर, लखनादौन, केवलारी समेत कई क्षेत्रों में प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल की कक्षाएं जर्जर भवनों में संचालित होती रही हैं। वर्षा के दौरान इन भवनों में पढऩे वाले छात्रों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि जिले में अधिकांश स्कूल भवन ऐसे हैं जहां शिक्षा ग्रहण करना किसी जोखिम से कम नहीं हैं। वहीं कुछ स्थानों पर नया स्कूल भवन बन जाने के बाद उसी भवन के पास बने पुराने अति जर्जर भवनों को डिस्मेंटल नहीं किया गया है। ऐसे में जर्जर भवन के पास बच्चो के खेलने से भी हादसे की आशंका बनी रहती है। हालात यह है कि इन स्कूल भवनों में स्कूल लगाना संभव नहीं है। यदि इन स्कूल भवनों की जल्द मरम्मत नहीं की गई तो यहां स्कूल लगने के दौरान हमेशा हादसे का डर बना रहेगा।
एक्सपर्ट व्यू
शासकीय स्कूलों पर शासन हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। जिससे कुछ बदलाव तो आया है, लेकिन अब भी ग्रामीण अंचल में ऐसे स्कूलों की काफी संख्या है, जिनमें बिजली, पानी, सफाई, भवन और सुरक्षा जैसे जरूरी इंतजाम नहीं हैं। शासन को इनको बेहतर बनाने के लिए भी प्रयास करना चाहिए।
राजेन्द्र ठाकुर, जनसेवी नागरिक