
pench : लालबर्रा के जंगल से आए बाघ ने रूखड़ परिक्षेत्र में बनाया नया ठिकाना
सिवनी. बालाघाट जिले के लालबर्रा के जंगल का बाघ रूखड़ परिक्षेत्र में अपना नया ठिकाना बना लिया है। उसने वर्चस्व की लड़ाई में कई बाघ को उक्त क्षेत्र छोडऩे के लिए विवश कर दिया। अब संबंधित इलाके में उसका दबदबा कायम हो गया है। महकमे के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बाघ को दो माह पूर्व ‘बाजीराव’ नाम दिया है। नवंबर 2023 से उक्त क्षेत्र में उसके देखे जाने की बात बताई जा रही है। इसकी पुष्टि पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने की है।
पेंच के बफर क्षेत्र का रूखड़ परिक्षेत्र इन दिनों ‘बाजीराव’ की वजह से सुर्खियां बटोर रहा है। पेंच आने वाले पर्यटकों को भी यह नजर आ रहा है। रूखड़ परिक्षेत्र में सुबह, शाम व देर शाम तीन समय पर्यटकों को सफारी का मौका मिलता है। प्रतिदिन आठ से 10 सफारी पर्यटकों को लेकर जंगल में जाती है। बताया जा रहा है कि किसी न किसी समय पर्यटकों को ‘बाजीराव’ नजर आ ही जाता है। इसके अलावा तीन बाघिन व शावक भी उक्त क्षेत्र में नजर आ रहे हैं।
‘कुरईगढ़’ को लिफ्ट करने के बाद बढ़ी ‘बाजीराव’ की धमक
पेंच टाइगर रिजर्व अमले की माने तो रूखड़ परिक्षेत्र का इलाका ‘कुरईगढ़’ बाघ का था। बीते दिवस कई चरवाहों पर हमला कर उनको मौत के घाट बाघ ने उतारा था। इस पर आठ नवंबर २०२३ को ‘कुरईगढ़’ को यहां से लिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद से ही उक्त क्षेत्र में ‘बाजीराव’ की धमक शुरू हुई। यह क्षेत्र मेल बाघ के लिए उपयुक्त बताया जा रहा है। यहां बाघिन की संख्या अधिक होने के साथ शिकार भी बाघ को आसानी से मिल जाता है। ऐसे में यहां कई बाघों ने ठिकाना बनाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता ‘बाजीराव’ को मिली है।
वर्जन -
यह बाघ यहां का नहीं है। दो साल पूर्व यह पहली बार जब कैमरा ट्रैप में नजर आया तो इसकी पड़ताल शुरू की गई थी। उस समय पता चला कि यह बालाघाट जिले के लालबर्रा के जंगल का है। ‘कुरईगढ़’ बाघ को लिफ्ट किए जाने के बाद इसने रूखड़ क्षेत्र को अपना नया ठिकाना बना लिया है।
- रजनीश कुमार सिंह, डिप्टी डायरेक्टर पेंच टाइगर रिजर्व
Published on:
16 Feb 2024 10:20 pm
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