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दलित, सवर्ण जैसे शब्दों से हो रहा है समाज को बांटने का प्रयास

जनसंवाद में बोले संत

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The words like Dalit upper caste are trying to divide the society

सिवनी. जातिवाद, प्रांत व भाषावाद के नाम पर सनातन संस्कृति को तोडऩे का कुचक्र चल रहा है। दलित, सवर्ण जैसे शब्दों से समाज को बांटने का प्रयास हो रहा है। ये शब्द सनातन धर्म के किसी भी ग्रंथ, वेद, पुराण में नहीं हैं। इन शब्दों का प्रयोग कुधर्मी कर रहे हैं। यह बात एकात्म यात्रा के साथ राजस्थान, अलवर से आए संत मुक्तागिरी महाराज ने कही। वे रविवार को मठ मंदिर मैदान में आयोजित जनसंवाद में उपस्थितजनों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि ईसाई धर्म को दो हजार वर्ष हुए। मुस्लिम धर्म को १५ सौ वर्ष। आदि शंकराचार्य ने सनातन संस्कृति को मजबूती दी है। यह २५०० (२५ सौ) वर्ष पूर्व से विद्यमान है। अब तक की इस अवधि में संस्कृति में कई तरह के विकार आए। नास्तिकता का भयंकर चलन हुआ। यज्ञों में नरबलि, पशु बलि होने लगी। इस विकार के कारण भारत वर्ष से अफगान, पाकिस्तान, भूटान, तिब्बत अलग हो गए। कहा कि आदिवासी शब्द का प्रयोग कुचक्र है। यह कोई जाति विशेष का शब्द नहीं है। हम सभी आदिवासी है। इतिहास से छेड़छाड़ कर मायने बदल दिए गए हैं।
अमरकंटक से आए स्वामी हरिहरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हमारा समाज टूट रहा है। अधर्मी शक्तियां तोड़ रही हैं। जाति, दलों के मुखिया एक न हुए तो समस्या बढ़ती जाएगी। आचार्य शंकर केरल में प्रकट न होते तो ये सनातन धर्म न होता। उन्होंने शहरीकरण और पाश्चात्य संस्कृति पर कड़ा प्रहार किया। कहा कि भारतीय संस्कृति को शहर के लोगों ने नष्ट किया है। पशुओं की तरह भोजन ग्रहण करने का चलन स्वीकार कर लिया। दूसरी तरफ जंगल में आज भी हमारी संस्कृति सुरक्षित है। उस पर विधर्मियों की नजर है। वे लगातार जंगलों में, गांव में संस्कृति को नष्ट करने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने नेताओं, महात्माओं, आमजनों से एकात्म भाव को जागृत करने, सनातन संस्कृति को सुरक्षित रखने संयुक्त प्रयास के लिए आव्हान किया।
स्वामी गणेशगिरी महाराज, सांसद बोधसिंह भगत, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, जिला पंचायत अध्यक्ष मीना बिसेन, कलेक्टर गोपालचंद डाड, एसपी तरुण नायक, जिला पंचायत सीईओ स्वरोचिष सोमवंशी, एसडीएम हर्ष सिंह, सीएमओ नवनीत पांडेय एवं नगरवासी उपस्थित रहे। इसके पूर्व प्रदेश के यात्रा प्रभारी डॉ. जितेन्द्र जामदार ने यात्रा की प्रस्तावना उपस्थित जनसमुदाय को बताई।

अमरकंटक से एकात्मा यात्रा का जिले में ऐसे चला कार्यक्रम
आदि शंकराचार्य के विचार एवं दर्शन को जन-जन तक प्रसारित करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रारंभ की गई चार में से एक अमरकंटक से प्रारंभ एकात्म यात्रा का भ्रमण सिवनी जिले में हो रहा है। जिले में तीन दिवस भ्रमण कार्यक्रम निर्धारित है। प्रथम दिवस बरघाट में यात्रा पूर्ण कर द्वितीय दिवस रविवार को सिवनी से यात्रा केवलारी पहुंच गई है। इसके पूर्र्व सिवनी में एकात्म यात्रा के निर्धारित कार्यक्रम अनुसार सुबह 10 बजे शुक्रवारी चौक के राम मंदिर में आदि शंकराचार्य का ध्वजपूजन एवं पादुका पूजन हुआ। धार्मिक, सामाजिक संगठनोंं के प्रमुख, जनप्रतिनिधियों ने पादुका पूजन उपरांत राममंदिर से शोभायात्रा मठ मंदिर तक निकाली। शोभायात्रा में महिलाएं, युवतियां कलश लिए शामिल थी। इस दौरान रास्ते में घरों से लोगों ने पुष्प वर्षा व पूजन किया। नगर पालिका अध्यक्ष आरती शुक्ला व पूर्व विधायक नरेश दिवाकर सहित अन्य जन प्रतिनिधियों ने आदि गुरू शंकराचार्य की पादुकाओं को सिर पर लेकर एकात्म यात्रा ध्वज के साथ यात्रा का प्रतिनिधित्व किया। मठ मंदिर परिसर में ध्वज एवं पादुकाओं का पूजन अर्चन कर मंच पर स्थापित किया गया। इसका शुभारंभ कन्यापूजन एवं संतो को शॉल एवं श्रीफल से हुआ।

कलशों से ग्रामीणों ने स्वागत किया -
केवलारी जाते समय ग्राम आमझिरिया, बंजारी, इंदावादी, भोमा, कटिया, कामता, कान्हीवाड़ा, छुई, मानेगांव, पलारी चौराहा में भी एकात्म यात्रा का पुष्पवर्षा एवं स्वागत कलशों से ग्रामीणों ने स्वागत किया। उत्कृष्ट विद्यालय मैदान केवलारी में जनसंवाद कार्यक्रम उपरांत रात्रि विश्राम हुआ। सोमवार को सुबह 9 बजे यात्रा केवलारी से मलारा, खरसारू, मझगवां, सुनवारा, मुल्लादेवरी, भीमगढ़, खापा, अंजनिया, गोरखपुर, खुर्सीपार होते हुए छपारा विकासखण्ड पहुंचेगी। यहां जनसंवाद एवं धातु संग्रहण का कार्यक्रम होगा। इसके उपरांत यात्रा विकासखण्ड लखनादौन के लिए प्रस्थान करेगी, जहां जनसंवाद के बाद रात्रि विश्राम होगा।