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अफसरों ने अपनी गर्दन बचाने कर्मचारियों को नाप दिया

बाघ शिकार मामले में डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड निलंबित, बडे अधिकारियों को अभयदान और छोटों पर सितम

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शहडोल. बाघ शिकार मामले में अपनी गर्दन बचाने के लिए वन विभाग के आला अधिकारी छोटे कर्मचारियों को अपना निशाना बना रहे हैं। जयसिंहनगर के देवरा गांव में हुए बाघ के शिकार मामले में डीएफओ ने दो वनकर्मियों की लापरवाही मामते हुए उन्हे निलंबित किया है। इस मामले में वन परिक्षेत्र अधिकारी को न तो किसी तरह का नोटिस जारी किया गया और ना ही जवाब तलब किया गया। बताया गया है कि डीएफओ और एसडीओ ने मिलकर दो छोटे कर्मचारियों परिक्षेत्र सहायक जयसिंहनगर दिलीप मिश्रा और कौआसरई के बीट गार्ड इन्द्रपाल सिंह को निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं। गौरतलब है कि बीते तीन महीने के दौरान तेंदुआ सहित पांच बाघ और बाघिन तथा शावकों की मोतें अब तक हो चुकी हैं, लेकिन अब तक किसी बड़े अधिकारी रेंजर, एसडीओ और डीएफओ के विरुद्ध कोई कार्रवाई वन विभाग के आला अधिकारियों ने नहीं की है, बल्कि इस मामले में अधिकारियों को दण्डित करने के बजाय उन्हे २६ जनवरी के दिन पुरस्कृत किया गया है। इस मामले में अधिकारियों ने जयसिंहनगर न्यायालय में ६ आरोपियों को एक दिन पहले ३० जनवरी को शाम जयसिंहनगर न्यायालय में पेश किया गया था अभी एक आरोपी पुष्पेन्द्र सिंह को वन विभाग ने रिमांड पर लेकर पूछताछ करने में लगी है।
करंट से हुई मौत-
जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र के देवरा के एक खेत में बाघ की मौत को लेकर लोगों द्वारा सवाल किए जा रहे हैं। बाघ का मूवमेंट होने की जानकारी वन विभाग के अमले को ग्रामीणों ने पहले से ही दे रखी थी। बाघ जयसिंहनगर के देवरा में था यह जानकारी होने के बाद भी रेंजर और एसडीओ तथा डीएफओ ने कोई निगरानी उस दौरान नहीं की, जिससे सुअरों की सुरक्षा के लिए खेत में लगाए गए बिजली के करंट से बाघ की मौत हुई। इस मामले में वन विभाग के अधिकारी अपना दामन बचाने के लिए छोटे कर्मचारियों को बचाव का मोहरा बनाने में लगे हुए हैं।