
शहडोल- जब शहर में पैदल चलने के लिए सड़क ही नहीं बची है, तो लोग चलेंगे कहां, जहां देखो वहां अतिक्रमण नगर की यातायात व्यवस्था को चाक चौबंद करने के लिए नगरपालिका प्रशासन और यातायात तथा परिवहन विभाग के आला अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं, जिसके चलते आए दिन नगर की मुख्य सड़कों में लगातार हादसे हो रहे हैं। नगर की मॉडल सड़क पर अतिक्रमण और अवैध कब्जे का ग्रहण लगा हुआ है इसलिए इस सड़क की हालत भी नगर की अन्य सड़कों की तरह ही बनकर रह गई है। स्थिति ऐसी है कि मॉडल सड़क का निर्माण कई जगह अधूरा छोड़ दिया गया है। जगह-जगह फुटपाथ टूटा है। जिनमें चलना आसान नहीं है।
मॉडल सड़क पर चलना मतलब खतरों से खेलना है। नगरपालिका ने नगर में मुख्य सड़कों का निर्माण तो करोड़ों रुपए की लागत से कराया है, लेकिन सड़क के किनारे बनाए गए फुटपाथ और सड़कों पर वाहन संचालकों, व्यापारियों द्वारा बेधड़क अतिक्रमण किया गया है।
बुढ़ार चौक से लेकर बुढ़ार बाइपास तक बनाई गई मॉडल सड़क पर लोगों का फुटपाथ पर मार्निंग वाक और इवनिंग वॉक तक करना मुश्किल हो गया है। दिन में सड़क के बीच अनलोडिंग और लोडिंग कराए जाने के कारण नगर का यातायात बाधित होता है।
बावजूद अब तक इस मामले में नपा और यातायात विभाग द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि यातायात समिति की हर बैठक में इस मामले को लेकर लोगों द्वारा अतिक्रमण हटाने के सुझााव दिए जाते हैं, लेकिन इन सुझावों पर अब तक कोई अमल प्रशासनिक अमले द्वारा नहीं की जा रही है।
पैदल चलने की व्यवस्था कर दीजिए, शहर फुर्तीला हो जाएगा
शहर में करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गया फुटपाथ सेफ पार्किंग जोन में तब्दील हो गया है। कई लोग इतने ढीट किस्म के हैं कि उन्होंने अपना चार पहिया वाहन खड़ा करके उसे कवर से ढंक भी दिया गया है। सरकारी प्रॉपर्टी पर इस तरह से कब्जा किसी और शहर में नहीं किया जा सकता। ऐसा नहीं है कि जहां ये कब्जा किया गया है वहां से शहर के अधिकारी, कर्मचारी, जिम्मेदार लोग न गुजरते हों। उनकी नजर भी पड़ती होगी लेकिन, कब्जा हटाने और आम आदमी की सहूलियत के लिए वो अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते।
शहर में एक तरह से पैदल चलने की मनाही है। लोग पैदल चलें तो खतरे से खाली नहीं रहता। यदि शहर के फुटपाथ अतिक्रमण मुक्त कर दिए जाएं तो इस शहर को कई बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है। एक तो लोग पैदल नहीं चल पाते दूसरा वाहनों की वजह से शहर में प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे लोगों की दिनचर्या पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर धर्मेन्द्र द्विवेदी के अनुसार पैदल चलने से कालेस्ट्राल घटता है और फैट भी कम होता है जिससे शरीर का मोटापा कम होता है। रोज पैदल चलने से हार्ट अटैक व ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारियों का खतरा नहीं रहता और व्यक्ति हमेशा चुस्त रहता है। उन्होंने बताया कि शरीर और भी कई बीमारियों से मुक्त रहता है। शहर में पैदल चलने की व्यवस्था न होने और वाहनों की बढ़ती संख्या की वजह से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। शहर में ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है और ध्वनि की अधिक फ्रीक्वेंसी होने की वजह से वह बहरा भी हो जाता है।
8.57 लाख से बनी है मॉडल सड़क
बुढ़ार चौक से बुढ़ार बाईपास तक दो साल पहले लगभग 8 करोड़ 22 लाख रुपए की लागत से मॉडल सड़क और फुटपाथ तथा नाली का निर्माण कराया गया था। इसके बाद लगभग 35 लाख रुपए की लागत से डिवाइडर का निर्माण कराया गया। इस सड़क पर बेजा कब्जा किए जाने के कारण लोगों को सुविधा नहीं मिल पा रही। बताया गया है कि सड़क की चौड़ाई तो 18 मीटर नगरपालिका ने कराई लेकिन वाहनों को चलने के लिए सिर्फ आठ मीटर सड़क ही उपयोग में आ रही है, शेष भाग में बेजा कब्जा किया गया है।
यही हाल गांधी चौक से जय स्तंभ चौक तक के बनाए गए फुटपाथ का है। लोगों ने इस पर दुकानें बना लीं हैं। दुकानों का सामान पर इन पर रखा रहता है, लोगों को पैदल चलने के लिए जगह नहीं होती है। उधर नपा सीएमओ बीएस चतुर्वेदी का कहना है कि यातायात विभाग और एसपी को पत्र लिखा है। जल्द ही राजस्व विभाग और पुलिस की मदद से शहर से अतिक्रमण हटाया जाएगा।
Published on:
31 Jan 2018 01:13 pm
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