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13 साल से लापता था ये लड़का, FACEBOOK ने 13 सेकण्ड में यूं ढूंढ दिया

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13 साल से लापता था ये लड़का, FACEBOOK ने 13 सेकण्ड में यूं ढूंढ दिया

प्रभाष नारनौलिया / लक्ष्मणगढ़ (सीकर).

कस्बे के वार्ड 16 की रहने वाली माया देवी की पथराई आँखें बुधवार को खुशी के मारे छलक पड़े। घर में अर्से बाद सबके चेहरे खिले नजर आ रहे थे। कारण था बरसों पहले बिछड़े बेटे विमल जोशी उर्फ बंटी का 13 साल बाद घर लौटना।

जिगर के टुकड़े के मुंह से मां शब्द सुनते ही वह स्वयं पर यकीन नहीं कर पा रही थी। दरअसल 2005 में बंटी घर के सामने से खेलते हुए गायब हो गया था। बुधवार को घर लौटे विमल उर्फ बंटी ने पत्रिका को बताया कि 2005 में 20 फरवरी के दिन वह गली के सामने अकेला ही खेल रहा था। तभी एक साधु आया और उसे बहला-फुसला कर साथ ले गया।

जाते समय बंटी अपने साथ कुछ रुपए भी ले गया। वह साधु बंटी को असम ले गया और अपने डेरे पर उससे कपड़े, बर्तन आदि धुलवाने लगा। करीब दो साल तक साधु के चंगुल में रहा बंटी मौका पाकर ट्रेन से जयपुर आ गया। कुछ दिन भटकने के बाद जोधपुर चला गया।

जोधपुर में उसने एक मुस्लिम व्यापारी के पास काम किया और बाद में इसी व्यापारी के रिश्तेदार के पास माउंट आबू में तीन साल काम किया। माउंट आबू से वह किसी तरह जयपुर और बाद में चौमू आ गया तथा एक महिला के घर पर काम करने लगा।

पिता से न मिल सकने की टीस

वर्ष 2013 में बंटी के पिता संतकुमार जोशी का निधन हो गया था। बंटी को पिता से अंतिम बार न मिल सकने की टीस हमेशा रहेगी। घर में बंटी और उसकी माँ के अलावा बंटी का एक बड़ा भाई रौनक है, जिसकी शादी हो चुकी है।

फेसबुक ने चचेरे भाई से मिलाया
चार-पांच दिन पहले बंटी की अपने चचेरे भाई व बचपन के साथी गौरव जोशी से सोशल साइट फेसबुक पर मुलाकात हो गई। गौरव की मानें तो 13 साल से लापता बंटी को फेसबुक पर पहचाने में 13 सेकण्ड भी नहीं लगे। इसके बाद दोनों के बीच चैट के जरिए मोबाइल नम्बर का आदान-प्रदान हुआ। बातचीत में बंटी ने बताया कि वह घरवालों से डर के कारण वापस आने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। इस पर गौरव ने उसे समझाया और आखिर बंटी घर लौट आया।