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सीकर: प्रशासन की लापरवाही के कारण 2.5 करोड़ के ऑटो टीपर का हुआ ये हाल, जुगाड़ के भरोसे चल रहा शहर…

शहर की स्वच्छता की गति नगर परिषद के ऑटो टीपर के ठहरे चक्कों में उलझ गई है।

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Vishwanath Saini

Aug 10, 2017

सीकर.

सीकर शहर की स्वच्छता की गति नगर परिषद के ऑटो टीपर के ठहरे चक्कों में उलझ गई है। डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए करीब ढाई करोड़ की लागत से खरीदे गए ऑटो टीपर अब जुगाड़ के भरोसे चल रहे हैं। छह माह बाद भी परिषद इन पर स्थाई चालकों की नियुक्ति नहीं कर पाई है। कभी परिषद अपने कर्मचारियों से तो कभी जुगाड़ के चालकों से इनको चलाने के प्रयास कर रही है। ऐसे में घर-घर कचरा संग्रहण की व्यवस्था अभी तक गति नहीं पकड़ पाई। साथ ही शहर की पुरानी व्यवस्था भी बे-बेपटरी होने से जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं। स्थिति भीतरी शहर और शहर के बाहरी इलाकों की खराब है।


निविदा हुई फेल


परिषद ने ऑटो टीपर के संचालन, रख-रखाव और कचरा उठाने की जिम्मेदारी देने के लिए मार्च माह में निविदा निकाली। रेट अधिक होने के कारण स्वीकृति नहीं मिल पाई। ऐसे में निविदा को निरस्त कर दिया गया। संचालन दुरुस्त नहीं हो पाई।

निरस्त...

ऑटो टीपर के चालक व रखरखाव के लिए निकाली गई निविदा सिंगल टेंडर आने के कारण निरस्त कर दी गई थी। ऐसे में स्थाई चालक नहीं होने से परेशानी है। - जीवण खां,सभापति, नगर परिषद सीकर

48 ऑटो टीपर


इस वर्ष परिषद ने करीब ढ़ाई करोड़ की लागत से 48 ऑटो टीपर भी खरीद लिए। योजना के तहत प्रत्येक वार्ड में एक ऑटो टीपर लगाकर घर-घर कचरा संग्रहण शुरू करना था।


35 वार्डों में संग्रहण


दावा है कि 35 वार्डों में कचरा संग्रहण का कार्य शुरू कर दिया गया है। परिषद के अधिकारी स्वीकार करते हैं कि चालकों की व्यवस्था नहीं होने से तय वार्डों में भी समय पर ऑटो टीपर नहीं पहुंच पा रहे हैं।


100 टन कचरा


शहर में प्रतिदिन औसत सौ टन से अधिक कचरा होता है। परिषद ऑटो-टीपर, ट्रैक्टर आदि संसाधनों से नानी बीड़ में डलवाती है। टोर-टू-डोर कचरा संग्रहण की व्यवस्था शुरू नहीं हो पाने के कारण लोग सड़कों पर कचरा डाल देते हैं।